20 जनवरी को मंच स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर मंच के राष्ट्रीय कार्यालय में दिल्ली शाखा द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के अवसर पर दिल्ली शाखा की बेवसाइट www.mymdelhi.com का लोकार्पण दिल्ली शाखा के सक्रिय एवं कर्मठ कार्यकर्ता श्री रमेशजी सोमानी के कर-कमलों से हुआ। इस अवसर पर शाखाध्यक्ष श्री केदार अग्रवाल ने मंच स्थापना से लेकर अब तक की शाखा की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला तथा शाखा द्वारा भारत सरकार के समाज कल्याण विभाग की पहल पर दिल्ली शाखा के सौजन्य में आयोजित किये जा रहे कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम की जानकारी भी दी। इस अवसर पर दिल्ली शाखा द्वारा रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में ‘‘25वर्ष’’ के लोगो[logo] का लोकार्पण राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री अशोक बुच्चा एवं प्रान्तीय अध्यक्ष श्री शिव महिपालजी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस दौरान निवर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री रवि अग्रवाल ने दिल्ली शाखा की राष्ट्रीय स्तर के कार्यो में विशिष्ट भूमिका एवं मंच के राष्ट्रीय स्वरूप के पीछे मंच के समर्पित कार्यकर्ताओं के योगदान एवं मंच के प्रति उनके आदर्शरूपी जुनून को मंच के विकास के लिए एक शक्ति के रूप में अपनाने का आग्रह किया। प्रान्तीय अध्यक्ष श्री शिव महिपाल ने दिल्ली प्रान्त की शाखाओं के जनोपयोगी कार्यो में महत्वपूर्ण भूमिका, विशेषकर दिल्ली शाखा के योगदान के बारे में उपस्थित जनों को जानकारी दी गई। -मंच समाचार
ताजा समाचार
January 30, 2009
अपना बेवसाइट लाँच किया दिल्ली शाखा ने
January 29, 2009
मारवाड़ी युवा मंच की प्रगतिशील दिल्ली शाखा ने गणतंत्र दिवस
26 जनवरी: मारवाड़ी युवा मंच की प्रगतिशील दिल्ली शाखा ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर MCD Primery School, Gautam Nagar के 400 छात्र-छात्राओं के साथ मनाया। इस अवसर पर प्रगतिशील शाखाध्यक्ष सुनिता बंसल ने बताया कि इस अवसर पर छात्रों के बीच खेल-कुद प्रतियोगिता भी आयोजित की गई एवं बच्चों के बीच मिठाईयाँ भी बांटी गई।
January 28, 2009
हवड़ा शाखा: कृत्रिम पैर-कैलिपर प्रत्यारोपण शिविर
समाज गौरव सम्मान श्री नन्दकिशोर जालान जी को दिया गया
अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच के नवम राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन समाज गौरव सम्मान का राष्ट्रीय अलंकरण व सम्मान अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष एवं युवा मंच के मार्गदर्शक नन्दकिशोर जालान को दिया गया । अधिवेशन में श्री जालान जी ने अपनी अस्वस्थ्यता के चलते जाने में असमर्थता व्यक्त की थी, इसलिये गत 22 जनवरी शाम 5.30 बजे अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच के निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अनिल के.जाजोदिया, अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नन्दलाल रूँगटा व निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सीताराम शर्मा, सम्मेलन के राष्ट्रीय महामंत्री श्री रामावतर पोद्दार, समाज विकास के सहयोगी संपादक श्री शम्भु चौधरी, श्री कैलाशपति तोदी, श्री दीलीप गोयनका, श्री मुकेश खेतान, व श्रीमती अनुराधा खेतान ने कोलकाता स्थित उनके निवास पर जाकर उक्त सम्मान उन्हें भैंट की। इस अवसर श्री जालान जी के दीर्घायु होने की कामना की गई।
हनुमानगढ़ शाखा सम्मानित
26 जनवरी-हनुमानगढ़: मारवाड़ी युवा मंच, हनुमानगढ़ शाखा (राजस्थान) को गणतंत्र दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन द्वारा सामाजिक सेवा हेतु सम्मानित किया गया। शाखा सचिव श्री रमन अग्रवाल ने लिखा कि यह सम्मान मंच दर्शन की भावना को और सार्थक करता है। इन्होंने आगे लिखा कि हनुमानगढ़ शाखा यह सम्मान " अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच" की समस्त शाखाओं को अनुकरण हेतु समर्पित करती है। (देखें ऊपर चित्र में जिलाधिकरी से पुरस्कार ग्रहण करते हुए शाखाध्यक्ष व शाखा मंत्री) - श्री रमन अग्रवाल, सचिव-हनुमानगढ़ शाखा।
साहित्य शिल्पी ने अंतरजाल पर अपनी सशक्त दस्तक दी
साहित्य शिल्पी ने अंतरजाल पर अपनी सशक्त दस्तक दी है। यह भी सत्य है कि कंप्यूटर के की-बोर्ड की पहुँच भले ही विश्वव्यापी हो, या कि देश के पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण में हो गयी हो किंतु बहुत से अनदेखे कोने हैं, जहाँ इस माध्यम का आलोक नहीं पहुँचता। यह आवश्यकता महसूस की गयी कि साहित्य शिल्पी को सभागारों, सडकों और गलियों तक भी पहुचना होगा। प्रेरणा उत्सव इस दिशा में पहला किंतु सशक्त कदम था।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर उन्हें स्मरण करने लिये साहित्य शिल्पी ने 25/01/2009 को गाजियाबाद स्थित भारती विद्या सदन स्कूल में लोक शक्ति अभियान के साथ मिल कर प्रेरणा दिवस मनाया। सुभाष चंद्र बोस एसे व्यक्तित्व थे जिनका नाम ही प्रेरणा से भर देता है। साहित्य शिल्पी के लिये भी हिन्दी और साहित्य के लिये जारी अपने आन्दोलन को एसी ही प्रेरणा की आवश्यकता है। कार्यक्रम का शुभारंभ अपने नियत समय पर, प्रात: लगभग साढ़े दस बजे प्रसिद्ध विचारक तथा साहित्यकार बी.एल.गौड के आगमन के साथ ही हुआ। मंच पर प्रसिद्ध शायर मासूम गाजियाबादी तथा सुभाष के चिंतन पर कार्य करने वाले सत्यप्रकाश आर्य भी उपस्थित थे। मंच पर साहित्य शिल्पी का प्रतिनिधित्व चंडीगढ से आये शिल्पी श्रीकांत मिश्र ‘कांत’ ने किया।
नेताजी सुभाष की तस्वीर पर पुष्पांजलि के साथ कार्यक्रम का आरंभ किया गया। तत्पश्चात लोक शक्ति अभियान के मुकेश शर्मा ने आमंत्रित अतिथियों का अभिवादन किया एवं लोक शक्ति अभियान से आमंत्रितों को परिचित कराया। नेताजी सुभाष के व्यक्तित्व पर बोलते हुए तथा विचारगोष्ठी का संचालन करते हुए योगेश समदर्शी ने युवा शक्ति का आह्वान किया कि वे अपनी दिशा सकारात्मक रख देश को नयी सुबह दे सकते हैं। काव्य गोष्ठी का संचालन श्री राजीव रंजन प्रसाद ने किया।
गाजियाबाद के शायर मासूम गाजियाबादी ने अपनी ओजस्वी गज़ल से काव्य गोष्ठी का आगाज़ किया। अमर शहीदों को याद करते हुए उन्होंने कहा :-
भारत की नारी तेरे सत को प्रणाम करूँ
दुखों की नदी में भी तू नाव-खेवा हो गई
माँग का सिंदूर जब सीमा पे शहीद हुआ
तब जा के कहा लो मैं आज बेवा हो गई
पाकिस्तान और सीमापार आतंकवाद पर निशाना साधते हुए मासूम गाजियाबादी आगे कहते हैं:
मियाँ इतनी भी लम्बी दुश्मनी अच्छी नहीं होती
कि कुछ दिन बाद काँटा भी करकना छोड़ देता है
सुभाष नीरव ने अपनी कविता सुना कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। उन्होने कहा -
राहो ने कब कहा हमें मत रोंदों
उन्होंने तो चूमे हमारे कदम और खुसामदीद कहा
ये हमीं थे ना शुकरे कि पैरों तले रोंदते रहे
और पहुंच कर अपनी मंजिल तक
उन्हें भूलते भी रहे....
मास फॉर अवेयरनेस मूवमेंट चलाने वाले नीरज गुप्ता ने सुभाष के व्यक्तित्व पर बोलते हुए राष्ट्रीय चेतना के लिये छोटे छोटे प्रयासों की वकालत की। उन्होने अपने कार्टूनो को उस देश भक्ति का हिस्सा बताया जो लोकतंत्र को बचाने व उसे दिशा देने में आवश्यक है।
उनके वक्तव्य के बाद कार्यक्रम को कुछ देर का विराम दिया गया और उपस्थित अतिथि कार्टून प्रदर्शिनी के अवलोकन में लग गये। कार्यक्रम का पुन: आरंभ किया गया और श्रीकांत मिश्र कांत सुभाष की आज आवश्यकता पर अपना वक्तव्य दिया।
योगेश समदर्शी ने इसके पश्चात बहुत तरन्नुम में अपनी दो कवियायें सुनायीं। एक ओजस्वी कविता में वे सवाल करते हैं:-
तूफानों से जिस किश्ती को लाकर सौंपा हाथ तुम्हारे
आदर्शों की, बलिदानों की बड़ी बेल थी साथ तुम्हारे
नया नया संसार बसा था, नई-नई सब अभिलाषाएं थीं
मातृभूमि और देश-प्रेम की सब के मुख पर भाषाएं थीं
फिर ये विघटन की क्रियाएं मेरे देश में क्यों घुस आईं
आपके रहते कहो महोदय, ये विकृतियाँ कहाँ से आईं
अविनाश वाचस्पति ने कार्यक्रम में विविधता लाते हुए व्यंग्य पाठ किया। उन्होंने व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “फुटपाथों पर पैदल चलने वालों की जगह विक्रेता कब्जार जमाए बैठे हैं और पैदलों को ही अपना सामान बेच रहे हैं। तो इतनी बेहतरीन मनोरम झांकियों के बीच जरूरत भी नहीं है कि परेड में 18 झांकियां भी निकाली जातीं, इन्हेंज बंद करना ही बेहतर है। राजधानी में झांकियों की कमी नहीं है। सूचना के अधिकार के तहत मात्र दस रुपये खर्च करके आप लिखित में संपूर्ण देश में झांकने की सुविधा का भरपूर लुत्फं उठा तो रहे हैं। देश को आमदनी भी हो रही है, जनता झांक भी रही है। सब कुछ आंक भी रही है। देश में झांकने के लिए छेद मौजूद हैं इसलिए झांकियों की जरूरत नहीं है।
कार्यक्रम में स्थानीय प्रतिभागिता भी रही। गाजियाबाद से उपस्थित कवयित्री सरोज त्यागी ने वर्तमान राजनीति पर कटाक्ष करते हुए कहा :-
बहन मिली, भैया मिले, मिला सकल परिवार
लाया मौसम वोट का, रिश्तों की बौछार
चुन-चुन संसद में गये, हम पर करने राज
सत्तर प्रतिशत माफ़िया, तीस कबूतरबाज
अल्लाह के संग कौन है, कौन राम के साथ
बहती गंगा में धुले, इनके उनके हाथ
काव्यपाठ में सुनीता चोटिया ‘शानू’, शोभा महेन्द्रू, राजीव तनेजा,अजय यादव, राजीव रंजन प्रसाद, मोहिन्दर कुमार, पवन कुमार ‘चंदन’ एवं बागी चाचा ने भी अपनी कवितायें सुनायी।
सुनीता शानू ने अपनी कविता में कहा:-
मक्की के आटे में गूंथा विश्वास
वासंती रंगत से दमक उठे रग
धरती के बेटों के आन बान भूप सी
धरती बना आई है नवरंगी रूप सी
पवन चंदन ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए प्रस्तुत किया-
चाहता हूं तुझको तेरे नाम से पुकार लूं
जी करता है कि तेरी आरती उतार लूं
शोभा महेंद्रू ने नेताजी सुभाष पर लिखी पंक्तियाँ प्रस्तुत कीं:-
२३ जनवरी का दिन एक अविष्मर्णीय दिन बन जाता है
और एक गौरवशाली व्यक्तित्त्व को हम लोगों के सामने ले आता है
एक मरण मांगता युवा आकाश से झाकता है
और पश्चिम की धुन पर नाचते युवको को राह दिखाता है
राजीव तनेजा ने कहा -
क्या लिखूं कैसे लिखूं लिखना मुझे आता नहीं ...
टीवी की झ्क झक मोबाईल की एसएमएस मुझे भाता नही ....
बागी चाचा ने सुनाया -
आज भी जनता शहीद हो रही है और वह डाक्टर के हाथो से शहीद हो रही थी
दीनू की किस्मत फूटनी थी सो फूट गई..
कार्यक्रम के मध्य में मोहिन्दर कुमार ने अपनी चर्चित कविता "गगन चूमने की मंशा में..." सुनायी साथ ही, साहित्य शिल्पी और उसकी गतिविधियों तथा उपलब्धियों से उपस्थित जनमानस का परिचय करवाया।
विचार गोष्ठी में सत्यप्रकाश आर्य ने सुभाष चंद्र बोस और उनके व्यक्तित्व पर बहुत विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने सुभाष के जीवित होने जैसी भ्रांतियों पर भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में स्थानीय विधायक सुनील शर्मा की भी उपस्थिति थी। सुनील जी ने समाज के अलग अलग वर्ग को भी देश सेवा के लिये आगे आने की अपील की। कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष बी.एल. गौड ने अपने विचार प्रस्तुत लिये। उन्होंने कार्य करने की महत्ता पर बल दिया और विरोधाभासों से बचने की सलाह दी।
उन्होने बदलते हुए समाज में सकारात्मक बदलावों की वकालत करते हुए रूढीवादिता को गलत बताया। अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने अपनी कविता की कुछ पंक्तियाँ भी प्रस्तुत की:
ऐ पावन मातृभूमि मेरी
मैं ज़िंदा माटी में तेरी
मैं जन्म-जन्म का विद्रोही
बागी, विप्लवी सुभाष बोस
अतिवादी सपनों में भटका
आज़ाद हिंद का विजय-घोष
मैं काल-निशाओं में भटका
भटका आँधी-तूफानों में
सागर-तल सभी छान डाले
भटका घाटी मैदानों में
मेरी आज़ाद हिंद सेना
भारत तेरी गौरव-गाथा
इसकी बलिदान-कथाओं से
भारत तेरा ऊँचा माथा
कार्यक्रम में साहित्यकारों विद्वानों और स्थानीय जन की बडी उपस्थ्ति थी।
साहित्य शिल्पी ने कार्यक्रम के अंत में यह संकल्प दोहराया कि साहित्य तथा हिन्दी को अभियान की तरह प्रसारित करने के लिये इस प्रकार के आयोजन जीयमित होते रहेंगे।
कार्यक्रम का समापन "जय हिन्द" के जयघोष के साथ हुआ।
January 25, 2009
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समझौते की बात न हो तो अच्छा है
राष्ट्रीय महानगर कोलकाता महानगर सांध्य दैनिक की तरफ से गत २३ जनवरी को कोलकाता के माहेश्वरी भवन सभागार में "अपनी धरती अपना वतन" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी शुरूआत श्री प्रकाश चण्डालिया के पुत्र चिं. चमन चण्डालिया ने माँ सरस्वती वन्दना से की।
कोलकाता. सांध्य दैनिक राष्ट्रीय महानगर की और से आयोजित कवि सम्मलेन एवं अपनी धरती-अपना वतन कार्यक्रम कई मायनों में यादगार बन गया। कोलकाता में हाल के वर्षों में यह ऐसा पहला सार्वजनिक कवि सम्मलेन था जिसमे भाग लेने वाले सभी कवि इसी महानगर के थे। महानगर के संपादक प्रकाश चंडालिया ने अपने संबोधन में कहा भी, कि यहाँ जब भी कोई सांस्कृतिक आयोजन होता है तो लोग कलाकार का नाम जानने को उत्सुक रहते हैं, लेकिन जब कभी भी कोलकाता में कोई कवि सम्मलेन होता है तो उसका शहर जानने को उत्सुक रहते हैं। इस सोच कि पृष्ठभूमि में शायद यह बात छिपी है कि कोलकाता में शायद अच्छे कवि हैं ही नही। पर राष्ट्रीय महानगर ने इस सोच से मुकाबिल होते हुए इस कवि सम्मलेन में केवल कोलकाता में प्रवास करने वाले कवियों को ही चुना, उन्होंने कहा कि खुशी इस बात कि है कि कोलकाता के कवियों को सुनने पाँच सौ से भी अधिक लोग उपस्थित हुए। वरिष्ठ कवि श्री योगेन्द्र शुक्ल 'सुमन', श्री नन्दलाल 'रोशन', श्री जे. चतुर्वेदी 'चिराग', श्रीमती गुलाब बैद और उदीयमान कवि सुनील निगानिया ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएँ सुना कर भरपूर तालियाँ बटोरीं, साथ ही, डाक्टर मुश्ताक अंजुम, श्री गजेन्द्र नाहटा, श्री आलोक चौधरी को भी मंच से रचना पाठ के लिए आमंत्रित किया गया। सभी कवियों ने अपनी उम्दा रचनाएँ सुनायीं। देशभक्ति, आतंकवाद और राजनेताओं की करतूतों पर लिखी इन कवियों कि रचनाएँ सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए और बार बार करतल ध्वनि करते रहे। कवि सम्मलेन लगभग दो घंटे चला। कवि सुमनजी और रोशनजी ने जबरदस्त वाहवाही लूटी। मुश्ताक अंजुम कि ग़ज़ल भी काफ़ी सराही गई। गजेन्द्र नाहटा ने कम शब्दों में जानदार रचनाएँ सुनाई। गुलाब बैद कि रचना भी काफ़ी सशक्त रही। कार्यक्रम के दूसरे दौर में देश विख्यात कव्वाल जनाब सलीम नेहली ने भगवन राम कि वंदना के साथ साथ ये अपना वतन..अपना वतन.. अपना वतन है, हिंदुस्तान हमारा है जैसी उमड़ा देशभक्ति रचनाएँ सुनकर श्रोताओं को बांधे रखा। संध्या साढ़े चार बजे शुरू हुआ कार्यक्रम रात दस बजे तक चलता रहा और सुधि श्रोता भाव में डूबे रहे। कार्यक्रम का सञ्चालन राष्ट्रीय महानगर के संपादक प्रकाश चंडालिया ने किया, जबकि कवि सम्मलेन का सञ्चालन सुशिल ओझा ने किया। प्रारम्भ में सुश्री पूजा जोशी ने गणेश वंदना की और नन्हे बालक चमन चंडालिया ने माँ सरस्वती का श्लोक सुनाया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में वृद्धाश्रम अपना आशियाना का निर्माण कराने वाले वयोवृद्ध श्री चिरंजीलाल अग्रवाल, वनवासियों के कल्याण के बहुयामी प्रकल्प चलाने वाले श्री सजन कुमार बंसल, गौशालाएं चलाने वाले श्री बनवारीलाल सोती और प्रधान वक्ता सामाजिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन के पैरोकार श्री कमल गाँधी के साथ साथ कोलकाता की पूर्व उप मेयर श्रीमती मीना पुरोहित, पार्षद सुनीता झंवर उपस्थित थीं। कार्यक्रम के प्राण पुरूष राष्ट्रीय महानगर के अनन्य हितैषी श्री विमल बेंगानी थे। उन्होंने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि यह आयोजन देशप्रेम कि भावना का जन-जन में संचार सेवा के उदेश्य से किया गया है। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय महानगर के पाठकों की और से राष्ट्रीय महानगर के संस्थापक श्री लक्ष्मीपत सिंह चंडालिया और श्रीमती भीकी देवी चंडालिया का भावभीना सम्मान किया गया। शहरवासियों के लिए इस कार्यक्रम को यादगार बनाने में सर्वश्री विद्यासागर मंत्री, विजय ओझा, राकेश चंडालिया, गोपाल चक्रबर्ती, विजय सिंह दुगर, गौतम दुगर, पंकज दुधोरिया, हरीश शर्मा, राजीव शर्मा, प्रदीप सिंघी, सरीखे हितैषियों का सक्रिय सहयोग रहा। बदाबजर के महेश्वरी भवन में आयोजित इस विशिष्ट समारोह में सभी क्षेत्र के लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर राष्ट्रीय महानगर की सहयोगी संस्था अपना मंच कि काव्य गोष्ठियों के चयनित श्रेष्ठ कवि श्री योगेन्द्र शुक्ल सुमन, श्री नन्दलाल रोशन और सुश्री नेहा शर्मा का भावभीना सम्मान किया गया। सभी विशिष्ट जनों को माँ सरस्वती की नयनाभिराम प्रतिमा देकर सम्मानित किया गया। समारोह में उपस्थित विशिष्ट जनों में सर्वश्री जुगल किशोर जैथलिया, नेमीचंद दुगर, जतनलाल रामपुरिया, शार्दुल सिंह जैन, बनवारीलाल गनेरीवाल, रमेश सरावगी, सुभाष मुरारका, सरदार निर्मल सिंह, बंगला नाट्य जगत के श्री अ.पी. बंदोपाध्याय,राजस्थान ब्रह्मण संघ के अध्यक्ष राजेंद्र खंडेलवाल, हावडा शिक्षा सदन की प्रिंसिपल दुर्गा व्यास, भारतीय विद्या भवन की वरिष्ठ शिक्षिका डाक्टर रेखा वैश्य सेवासंसार के संपादक संजय हरलालका, आलोक नेवटिया, अरुण सोनी, अरुण मल्लावत, रामदेव काकडा, सुरेश बेंगानी, कन्हैयालाल बोथरा, नवरतन मॉल बैद, रावतपुरा सरकार भक्त मंडल के प्रतिनिधि सदस्य, रावतमल पिथिसरिया, शम्भू चौधरी, प्रमोद शाह, गोपाल कलवानी, प्रदीप धनुक, प्रदीप सिंघी, महेंद्र दुधोरिया, प्रकाश सुराना, नीता दुगड़, वीणा दुगड़, हीरालाल सुराना, पारस बेंगानी, बाबला बेंगानी, अर्चना रंग, डाक्टर उषा असोपा, सत्यनारायण असोपा, गोपी किसान केडिया, सुधा केडिया, शर्मीला शर्मा, बंसीधर शर्मा, जयकुमार रुशवा, रमेश शर्मा, सुनील सिंह, महेश शर्मा, गोर्धन निगानिया, आत्माराम तोडी, घनश्याम गोयल, बुलाकीदास मिमानी, अनिल खरवार, डी पांडे, राजेश सिन्हा उपस्थित थे ।
"अपनी धरती अपना वतन"
मंच पर आसीन कवि थे सर्वश्री योगेन्द्र शुक्ल 'सुमन', नन्दलाल 'रोशन', जे. चतुर्वेदी 'चिराग, श्रीमती गुलाब बैद, और सुनील निंगानिया। देशप्रेम की भावना से परिपूर्ण श्री नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की याद में कोलकाता स्थित स्थानीय माहेश्वरी भवन सभागार में किया था। कार्यक्रम के प्रारम्भ में प्रधान वक्ता बतौर श्री कमल गाँधी ने देश के वीर सेनानियों को नमन करते हुए मुम्बई घटना में हुए शहीदों को अपनी भावपुर्ण श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि इन शहिदों के नाम को जितनी श्रद्धा के साथ लिया जाय उतना ही कम है, देश के वर्तमान नेताओं के नाम को लिये बिना आपने कहा कि जिस मंच पर सुभाष-गांधी को याद किया जाना है, वीर शहिदों को याद किया जाना है ऐसे मंच पर खड़े होकर उनका नाम लेकर इस मंच की मर्यादा को कम नहीं करना चाहता। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच श्री कमल गाँधी ने कहा कि हम अभी इतने भी कायर नहीं हुए कि अपने राजनैतिक स्वार्थ के चलते देशहित को तिलांजलि दे देगें, हमारे लिये देशहित सर्वप्रथम है। इस समारोह की अध्यक्षता शहर के जाने-माने समाज सेवी श्री चिरंजीलाल अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम का उद्घाटन श्री एस.के पारिक ने किया। बतौर प्रदान अतिथि थे श्री सजन कुमार बंसल और बनवारी लाल सोती। कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष श्री बिमल बैंगानी ने सभी का स्वागत किया और धन्यवाद दिया महानगर के जाने -माने पत्रकार और 'राष्ट्रीय माहानगर' के संपादक श्री प्रकाश चण्डालिया ने कवि मंच " अपनी धरती-अपना वतन" कार्यक्रम के संचालन की शुरूआत श्री सुशील ओझा ने श्री छविनाथ मिश्र की कविता से की:
मेरे दोस्त मेरे हमदम तुम्हारी कसम
कविता जब किसी के पक्ष कें या
किसी के खिलाफ़ जब पूरी होकर खड़ी होती है;
तो वह ईश्वर से भी बड़ी होती है। -छविनाथ मिश्र
अपनी धरती अपना वतन कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए श्रीमती गुलाब बैद ने माँ सरस्वती पर अपनी पहली रचना प्रस्तुत की।
माँ सरस्वती.. माँ शारदे, हम सबको तेरा प्यार मिले...2
चरणों में अविनय नमन करें,
तेरा बाम्बार दुलार मिले। हे वीणा वादणी, हंस वाहिणी.. तू ममता की मूरत है।
श्री सुनील निंगानिया ने आतंकवाद पर अपनी कविता के पाठ कर बहुत सारी तालियां बटोरी..
शहर-शहर.... गाँव-गाँव मौसम मातम कुर्सी का
आम अवाम लाचार हो गई, देख रही छलनी होते ..
भारत माँ की जननी को .. शहर-शहर....
दिल्ली का दरबार खेल रहा है, खेल ये कैसा कुर्सी का...
यह कैसी आजादी होती, हम आजादी पर रोते हैं
सरहद से ज्यादा खतरा घर की चारदिवारी का... शहर-शहर....
आगे इन्होंने कहा..
उग्रवाद का समाधान नहीं .. राजनीति की दुकानों पे
हासिल करना होगा इसे हमें, अपने ही बलिदानों से..शहर-शहर....
श्री जे. चतुर्वेदी 'चिराग'
धरा पुनः वलिदान मांगती......हिन्द देश के वासी जागो...
जीवन नाम नहीं जीने का, जिस सम अधिकार नहीं हो,
जीवन की परिभाषा तो, अधिकार छीनकर जीना होता...
धरा पुनः वलिदान मांगती......हिन्द देश के वासी जागो...
श्रीमती गुलाब बैद ने अपनी ओजस्वी गीत से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
1.कभी मार सकी मौत तुम्हें, हे अमर वीर बलिदानी...
भारत माँ के सच्चे सपुत हो, सच्चे हिन्दुस्तानी...
जब-जब भारतमाता को, दुश्मन ने आँख उठाकर
सीमा पर ललकारा
तब-तब भारत माँ ने तुम्हें पुकारा....
2.सैनिक जीवन है सर्वोत्तम, सर्वोत्तम सैन्य कहानी
कब मार सकी है मौत तुम्हें
हे अमर वीर बलिदानी...
3. चन्दन है भारत की माटी
महक रहा इसका कण-कण
जिसकी गौरव गाथा गाते
हरषे धरती और गगन.....
श्री नन्दलाल 'रोशन' ने ग़ज़ल और कविताओं के सामंजस्य को इस बखूबी बनाया कि सभी दर्शकगण बार-बार तालियां बजाते चले गये..
-कौन मेरे इस वतन में बीज नफ़रत के बो रहा....
-उनकी जुवां पर पत्थर पिघलने की बात है,
यह तो महज दिल को बहलाने की बात है।
-जो भी आया सामने.. सारे के सारे खा गये
हक़ हमार खा गये.. हक़ तुम्हारा खा गये..
और खाते-खाते पशुओं का चारा भी वो खा गये।
-पल में तौला.. पल में मासा, राजनीति का खेल रे बाबा..
धक-धक करती चलती दिल्ली अपनी.. रेल रे बाबा..
बहुत पुराना खेल रे बाबा...
सां-संपेरे का खेल हो गया.... पकड़ लिया तो बात बन गई,
चुक गया तो मारा गया रे बाबा.....
ताल ठोक संसद जाते, जनता के प्रतिनिधी कहलाते।
सारा ऎश करे य बहीया...
जनता बेचे तेल रे भईया...
पहले मिल बाँटकर खाते.. फिर आपस में लड़ जाते;
स्वाँगों की भी जात !.. फेल हो गई रे बाबा...
डॉ.मुस्ताक अंजूम ने अपनी ग़ज़लों से सभी को मोह लिया।
हजारों ग़म हैं, फिर भी ग़म नहीं है
और हमारा हौसला कुछ कम नहीं है।
और उसकी बात पर कायम है सबलोग
जो खुद अपनी बात पर कायम नहीं है।।
श्री गजेन्द्र नाहटा और श्री आलोक चौधरी जी ने भी अपनी कविताओं का पाठ इस मंच से किया।
गजेन्द्र जी नाहाटा-
दर्द को खुराक समझ के पीता हूँ
और टूटते हृदय को आशाओं के टांके से सीता हूँ।
आलोक चौधरी
जब सुभाष ने शोणित माँगा था.. सबसे करी दुहाई थी,
जाग उठा था देश चेतना.. पाषाणों में, जान आई थी।
कवि मंच "अपनी धरती-अपना वतन" के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री योगेन्द्र शुक्ल 'सुमन' ने अपनी कविताओं का पाठ शुरू करने से पूर्व कहा कि सभागार में शहर के सो से भी अधिक कवियों की इस उपस्थिति ने यह बता दिया कि कि इस महानगर में भी कवि रहते हैं श्री प्रकाश चण्डालिया का आभार व्यकत करते हुए अपनी दो पंक्तियां कही..
जो दिलों को जोड़ता है, उन ख्यालों को सलाम
अव्वल तुफानों में उन मशालों को सलाम
जो खुद जलकर उजाला बांटता हो उन मशालों को सलाम।
आपने कहा कि वे अपने लोगों से गुजारिश करूँगा कि वे अपने शहर के चिरागों को सामने लायें। आपने "मातृभूमि की बलिवेदी को प्रणाम" कविता का पाठ भी किया.. आपने वर्तमान राजनीति के रंग को अपनी इस कविता के माध्यम से चित्रण किया..
जिन शलाखों के पीछे वह बरसों रहे ... वे अब शलाखों के पहरेदार हैं।
कल तलक जो लुटेरे थे, आज उनकी सरकार है।।
होना हो तो एक बार हो, ये बार-बार होना कैसा है।
और धार चले तो एक बार चले.. धार-धार चलना कैसा है।।
आपने आगे कहा...
तासकंद की रात न हो तो अच्छा है,
शिमला जैसा प्रातः न हो तो अच्छा है,
करगील जैसा घात न हो तो अच्छा है
समझौते की बात न हो तो अच्छा है।
गुमला शाखा ने बड़ी धुमधाम से मनाया रजत जयंती समारोह
January 23, 2009
मानव सेवा के क्षेत्र में एक और सराहनीय कार्य -उपायुक्त
साहिबगंज:4,जनवरी'2009 मारवाड़ी युवा मंच व जिला अंधापन नियंत्रण समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मोतियाबिंद आपरेशन समापन समारोह को संबोधित करते हुए उपायुक्त के रवि कुमार ने कहा कि मानव सेवा महान धर्म है। मारवाड़ी युवा मंच ने गरीब व असहाय को नेत्रज्योति प्रदान कर सचमुच में सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि हर प्रकार के सामाजिक कार्य में जिला प्रशासन मदद करेगी। जो काम सरकार के माध्यम से नहीं हो पाता है उसे स्वयं सेवी संगठन गांव गांव तक पहुंचाते है। समारोह को पुलिस अधीक्षक पी.आर.दास सहित कई अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया। इसके पूर्व दीप प्रज्ज्वलित कर उपायुक्त ने समारोह का उद्घाटन किया।
रविवार को अग्रवाल महेश्वरी खंडेलवाल पंचायत भवन में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा कि मारवाड़ी युवा मंच ने मानव सेवा के क्षेत्र में एक और सराहनीय कार्य किया है। ऐसे संस्था से अन्य संस्थाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। इसके पूर्व कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम संयोजक गोपाल खुडानियां ने बताया कि दो दिन चले आपरेशन शिविर में 39 महिला व 18 पुरुषों के आंखों के मोतियाबिंद का आपरेशन किया गया है। आपरेशन के बाद सभी मरीजों को मंच की ओर से चश्मा प्रदान किया जा रहा है। फिर डेढ़ माह बाद आंख के पावर की जांच कर अलग चश्मा प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेत्र चिकित्सक डा.विष्णु कुमार ने कहा कि शिविर में शामिल होकर वे जिले के प्रति अपने कर्त्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। कार्यक्रम को सिविल सर्जन डा.देवेन्द्र सिंह, अनुमंडल पदाधिकारी अंजनी कुमार सहित कई लोगों ने संबोधित किया। इस अवसर पर डा.बी मरांडी, डा.विजय कुमार, डा.मोहन पासवान, वार्ड उपाध्यक्ष अनवर अली, अनिल ओझा, बेद प्रकाश खुडानिया, अशोक चौधरी, मोहित बेगराजका, बासुकी खेमका, बंटी शर्मा, अभिषेक खजांची, मुकेश सेकसरिया,जगदीश सेकसरिया सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।
Republic day
Sunita Bansal
President Marwari Yuva Manch
Pragatisheel Delhi Branch
(Awarded as Top Branch on All India Basis by MYM for Financial Year 2004-2005)
श्री रमेश पोद्दार को मायुमं ने किया सम्मानित।
January 21, 2009
शीतल पेय जल केन्द्र की स्थापना
मारवाड़ी युवा मंच, कटक शाखा की ओर से स्थानीय गुंडिचा मंदिर परिसर में युवा मंच का राष्ट्रीय कार्यक्रम अमृत धारा के तहत कटक शाखा ने अपनी 17वां शीतल पेय जल केन्द्र की स्थापना की। कटक के समाजसेवी मदनलाल अग्रवाल के सौजन्य से स्वर्गीय प्रतीक कुमार अग्रवाल की स्मृति में इस केन्द्र का निर्माण करवाया है। वृंदावन से पधारे संत गिरधर गोपाल जी के कर कमलों द्वारा इस केन्द्र का उद्घाटन कर जनसेवा में उत्सर्ग किया गया। कटक शाखा के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान प्रवक्ता अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया कि मारवाड़ी युवा मंच कटक शाखा ने आगामी जनवरी माह में कटक जिला को विकलांग विहीन करने हेतु शाखा ध्यान दे रही है। हेमन्त अग्रवाल एवं युवा सचिव विजय अग्रवाल सहित एक दल कटक जिलाधीश किशोर महान्ति से मुलाकात कर इस योजना के बारे में विस्तृत चर्चा की। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से उत्कल प्रांत की कई शाखाओं तथा बरहमपुर, अनगुल, झारसुगुड़ा सहित कई शाखाएं अपने क्षेत्र के जिलों को प्रशासन की मदद से विकलांग विहीन जिला बनाने की पहल की है। साभार: जागरण समाचार
उदभव और अभ्युदय: -स्व.भंवरमल सिंघी
राजस्थान, जिसका नाम स्वाधीनता के पूर्व राजपूताना था, के भूगोल में मारवाड़ वहां के एक प्रदेश-खण्ड का नाम है, जो वर्तमान जोधपुर अंचल में पड़ता है। उस विशेष प्रदेश-खण्ड के रहनेवालों को मारवाडी़ कहा जाता तो समझ में आनेवाली बात होती, किन्तु राजस्थान के बाहर विभिन्न प्रदेशों में राजस्थान अंचल के जिस अंचल के भी लोग आकर बस गये, उन सभी को मारवाडी़ नाम से जाना और समझा जाता है। और, इन समस्त प्रवासी राजस्थानियों को मारवाडी़ जाति या समाज के नाम अभिहित किया जाता है। इस प्रकार से इस शब्द का भौगोलिक और ऎतिहासिक अर्थबोध उतने महत्व का न रह कर सामाजिक अर्थबोध अधिक महत्व का हो गया है। यह कैसे हुआ, इसके बारे में बहुत प्रामाणिक ऎतिहासिक सामग्री तो उपलब्ध नहीं है, पर यह धारणा की जाती है कि मारवाडी़ शब्द की प्रसिद्धि बंगाल से हुई। सन् 1564 में जब सुलेमान किरानी बंगाल में राज करता था, तब से बंगाल में मारवाडी़ शब्द का प्रयोग होता मिलता है। जब घरेलु झगडो़ से तंग आकर उसने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली, तो अकबर ने उसकी साहयता के लिये अपनी सेना बंगाल में भेजी थी। उस सेना में मोदीखाने का काम सम्हालने के लिये कुछ वैश्य लोग आये थे। वे जोधपुर (मारवाड़) के थे। इन लोगों ने सेना को रसद पहूंचाने के लिये मोदीखाने का काम करते हुये दूसरे व्यापार-व्यवसाय का काम भी शुरू किया। चूंकि ये मारवाड़ से आये थे, इसलिये इनका नाम सेना में और फिर बाहर भी मारवाडी़ पड़ गया । ये लोग जैसे-जैसे यहां बसते गये, वैसे-वैसे अपने भाई-बन्धुऔं को बुलाते गये और कालान्तर में इनकी एक जाति या समाज बन गया। सन् 1605 में जयपुर के राजा मानसिंह अकबर की ओर से बंगाल आये । उनके हाथ में बडी़ सत्ता थी, जिससे मारवाडी़ जाति के व्यक्तियों को काफी सहायता मिली। ऎसा भी उल्लेख मिलता है कि उस वक्त कतिपय मारवाडि़यों को राज्यकार्य में भी स्थान मिला।
जॉब चार्नक' ने अपनी डायरी में लिखा था " हिन्दुस्थान में एक मारवाड़ी जाति ही ऎसी है जो अन्य सभी जातियों की अपेक्षा वाणिज्य-व्यापार करने में विशेष दक्ष और ईमानदार है। कम्पनी यदि चाहे तो मारवाडी़ जाति के व्यक्तियों से सहयोग प्राप्त कर अपने व्यापार का भारतवर्ष में अधिकाधिक प्रसार कर सकती है" उस जमाने में बीकानेर और शेखावटी अंचलों के लोग काफी संख्या में बंगाल में आकर बस गये। यहां बसने के वाबजूद भी इन लोगों ने अपनी भाषा, धर्म, वेशभूषा और संस्कृ्ति आदि के मामले में यहां के लोगों से बिलकुल अलग रहे। और जब तक उनका समाज काफी बडा़ नहीं हो गया, तब तक विवाह-संबन्ध भी ये राजस्थान जाकर ही करते थे। इस प्रकार के दृ्ष्टिकोण और परिस्थिति के कारण इन लोगों का सारा ध्यान व्यवसाय की ओर ही लगा रहा। व्यापार-व्यवसाय व उद्योग के क्षेत्र में विकास और उन्न्ति करने के लिये जो एकान्तिक मनोयोग एवं अध्यवसाय आवश्यक होता है, वह इस समाज का स्वाभाविक गुण बन गया। धीरे-धीरे सारा प्रवासी मारवाडी़ समाज अर्थ केंद्रित समाज बनकर रह गया, जिसके परिणामस्वरूप वर्षों तक यह समाज विद्या, कला एवं साहित्य आदि अन्य क्षेत्रों की समस्त उपलब्धियों से वंचित रह गया। भारत , नेपाल के दूर-दराज , गांव-गांव में यह समाज फैलकर छोटी-छोटी दुकानें लेकर कारोबार करने लगा। यह कहना अत्युक्ति नहीं होगा कि इन क्षेत्रों में जरूरी खाद्य प्रदार्थ पहुंचाने में इस समाज की मह्त्वपुर्ण भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। सादगी, कष्ट-सहिष्णुता, सहन-शक्ति और परिश्रमशीलता के ऎसे गुण हैं, जिनकी वजह से इस समाज ने प्रवास में रह्ते हुवे भी अदभुत साधनों का निर्माण कर लिया। इस समाज में जोखिम उठाने की भी अद्दभुत क्षमता को भी इंकारा नहीं किया जा सकता। धीरे-धीरे इस समाज ने शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी सुधार किया। समाजिक नवचेतना का वृ्हत् आन्दोलन संगठित रूप से चला। सैकडो़-हजारों कार्यकर्त्ताओं के अथक प्रयासों से रूढि़वादी व्यवस्था में काफी सुधार आया, मसलन पर्दा-विवाह, बालिका शिक्षा, विधवा विवाह, मृ्तक भोज जैसे समाज सुधार के कार्यक्रम लिये गये । राष्ट्रीय स्वाधीनता और विकास के आन्दोलनों में भाग लिया। व्यापार के साथ-साथ इस समाज में दानशीलता की भावना ने राजस्थान से कई गुणा अधिक प्रवास में स्कूल, कालेज, अस्पताल, धर्मशालायें, आदि का निर्माण कर राष्ट्र के विकास में अपना महत्व्पूर्ण योगदान भी दिया।
व्यापार-व्यवसाय की एकांतिकता के कारण लक्ष्य और व्यवहार के सम्बन्ध में इस समाज के लोगों में जो कतिपय दोष और दुर्बलतायें रही, उनकी वजह से कई दफा समाज को भ्रान्तियों का भी शिकार होना पडा़ है, जिसके कुछ कारण इसकी आर्थिक समृ्ध्दि से अनायास उत्पन्न होनेवाली दूसरे समाज के लोगों की सहज ईर्ष्या-भावना भी है। निःसंदेह समाज के कुछ लोगों के कुप्रयासों से समुचे समाज को बदनामी का सामना करना पड़ता है, किन्तु समाज अब अपनी स्थिति के प्रति जागरूक होकर नवनिर्माण की ओर अभिमुख एवं यत्नशील है।
1963 में प्रकाशित लेख , "मारवाडी़ समाज चुनौती और चिन्तन" से साभार
Blanket Distribution
Member of MYM- South Delhi assambled at Manoj Jain's residence at 10.45 P.M. on 20th Jan for Blanket Distribution (As Rajat Jayanti Programme). We had covered Mathura Road intersection from India gate to Ring Road, Nijamuddin Railway station, Ring Road from South Extension Part-I to Ashram, Moolchand to India Gate, Bhishm Pitamah Marg, Khel Gaon Marg, and other nearby area covering around 30 Kms. I specially want to give thanks to Mr. Manoj Jain, Mr. Manoj Bansal, Mr. Vinay Gupta, Mr. N. K. Bansal, Mr. Umesh Aggarwal and Mr. Sanjay Gupta for their active and timmely cooperation. All the members return around one in night. During our visit we had seen that a lot of work required to save needy person from cold winter.
मारवाड़ी समाज के नाम को रोशन कर दिया
यह है समाज की सेवा: जब कोई व्यक्ति सही अर्थों में समाज सेवा को अपना लक्ष्य बना लेता है तो इसकी चर्चा करना हमारा कर्त्तव्य हो जाता है, पिछले दिनों कोशी के कहर के समय किस प्रकार एक महिला होते हुऎ भी युवा मंच के सैकड़ों साथियों के साथ राहत कार्यों में लगी हुई थी। कई जगह से मेरे पास इन्टरनेट से युवा मंच की सूचनायें आने लगी, कई पत्रकार मित्रों ने मुझसे कहा की युवा मंच के सदस्य राहत कार्य में हर जगह देखे गये। मारवाड़ी सम्मेलन के राष्ट्रीय महामंत्री की रिपोर्ट में भी युवा मंच का जिक्र इस बात को दर्शाता है कि श्रीमती सरिता बजाज और श्री जगदीश चन्द्र मिश्रा ने मिलकर बाढ़ राहत कार्य के समय जिस लगन से मेहनत की व अविश्वनिय सा लगता है। पर सच्चाई यही है कि यह सच है- किस प्रकार पानी के बीच 30 दिनों तक लगातार रहकर देश भर की शाखाओं के सहयोग से यह कार्य करना सच में इस महिला ने मारवाड़ी समाज के नाम को रोशन कर दिया है। -संपादक
प्रांतीय अध्यक्ष श्रीमती सरिता बजाज ने मंच स्थापना दिवस पर बाढ़-पीड़ितों के बीच मौजूद होकर उनकी सेवा करते हुए मंच के परम ध्येय जनसेवा के प्रति निष्ठां प्रकट की| प्रांतीय अध्यक्ष जी ने २० जनवरी को मधेपुरा, राघोपुर-सिमराही, प्रतापगंज आदि बाढ़ प्रभावित शाखाओं का दौरा करते हुए बाढ़-पीड़ितों के बीच हजारों कम्बल एवं अन्य राहत-सामग्री का वितरण किया. २१ जनवरी को उनका कार्यक्रम बिहारीगंज एवं आलमनगर तथा समीपवर्ती क्षेत्रों में निर्धारित है।
जलपाईगुड़ी शाखा: स्थापना दिवस भारी उत्साह के साथ मनाया
साभार: जागरण समाचार
२५ वर्ष पूरे करना एक अत्यन्त ही खुशी और गौरव का विषय
सर्वप्रथम नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाये स्वीकार करें. कारवां-२००८ के अवसर पर आप सबने मुझ पर जो विश्वास व्यक्त कर संगठन के सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी सौंपी है, उसके लिए आप सबका हार्दिक आभार. इस गुरुतर दायित्व के निर्वहन में आप सबका संपूर्ण सहयोग मिलेगा, ऐसा मुझे विश्वास है.
जैसा की आप सबको विदित है की अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच आगामी २० जनवरी २००९ को अपने स्थापना के २५वे वर्ष में प्रवेश कर रहा है. किसी भी संस्था द्वारा २५ वर्ष पूरे करना एक अत्यन्त ही खुशी और गौरव का विषय होता है.
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January 20, 2009
राष्ट्र उत्थान के कार्यो में अग्रणी भूमिका
अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच द्वारा चलाये जा रहे देशव्यापी कन्या भ्रूण संरक्षण अभियान के अन्तर्गत देशभर में मंच की शाखाओं द्वारा विविध प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से जन-जागृति अभियान चलाया जा रहा है। इस कड़ी में दक्षिण दिल्ली शाखा के सौजन्य में 18 जनवरी 2009 को ’’ट्रेजर हण्ट कार रैली’’ का आयोजन किया गया। कार रैली का संचालन श्री मनमोहन जैन, श्री सुरेश दुग्गड़ एवं श्री वीरेन्द्र बाजोरिया की देख-रेख में किया गया। कार रैली में कई संगठनों की सक्रिय भागीदारी रही। इस अवसर पर शाखाध्यक्ष श्री महेश बंसल ने जन प्रतिनिधियों को बताया कि मारवाड़ी युवा मंच की शाखाएं राष्ट्र उत्थान के कार्यो में अग्रणी भूमिका का निर्वाह कर रही है। मंच की दक्षिण दिल्ली शाखा भी बिना किसी भेद-भाव के सभी वर्गो के लिए लोगों के उत्थान में बड़े पैमाने पर जनोपयोगी कार्यो का संपादन कर रही है। मुख्य रूप से विकलांगों को आत्मनिर्भर बनाने, शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिभाशाली युवकों को छात्रावास की सुविधा, निःशुल्क स्वास्थ्य चिकित्सा, जरूरतमंदों को रक्तदान तथा प्राकृतिक आपदा व घटनाओं के अवसर पर राहत कार्यो के प्रति सजगता के साथ सेवा कार्यो को संपादित करना इस शाखा की मुख्य प्राथमिकता रही है।
राष्ट्र विकास व एकता की भावना को आत्मसात करती इस कार रैली का उद्देश्य भी जन-प्रतिनिधियों को कन्याओं के संरक्षण के प्रति एक संदेश देना था, जागृत करना था। मारवाड़ी युवा मंच सभी लोगो से आग्रह करता है कि इस अभियान के अन्तर्गत लोगों को जागृत करने के कार्य में सहयोग करते हुए देश की भविष्य की इस बड़ी समस्या से निजात दिलाएंगे। कार रैली सफदरजंग क्लब से आरम्भ होकर महत्वपूर्ण स्थानों से गुजरती हुई समालखा में एक फार्म हाऊस पर आकर समाप्त हुई। कार रैली श्री एवं श्रीमती रेणु बंसल प्रथम स्थान तथा श्री एवं श्रीमती सरिता गोयनका द्वितीय स्थान पर है। जय राष्ट्र, जय समाज।
मनोज जैन, सचिव, दक्षिण दिल्ली शाखा।
Today SMS
Sms on 20.01.2008 up to 00.00hours.
M.K.Bansal – South Delhi Branch
January 19, 2009
FOUNDATION DAY
MYM,SBP cordially invite you to attend our ALL INDIA MARWARI YUVA MANCH, FOUNDATION DAY & RAJAT JAYANTI VARSH celebrate at 5.00 pm on 20th January 2009 at Sri Marwardi Panchayati Dharmsala, Gaiety Road, Sambalpur. Which will be inaugurated by Mrs. Reena Trivadi, The Chairman, Sambalpur Municipality, Sambalpur.
इतिहास गवाह है-
मंच स्थापना दिवस पर दो यादगार तस्वीरें-
इतिहास के पन्नों से:
-श्री सुरेश बेड़िया,
अध्यक्ष-पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन युवा मंच
संदर्भ:मंचिका 1985
श्री डॉ गिरधारी लाल सराफ, महामंत्री-पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन एवं श्री जयदेव खंडेलवाल [स्व.], अध्यक्ष-पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन का अधिवेशन के प्रचारार्थ अवदान न केवल सराहनीय रहा, बल्कि युवा साथियों के लिये प्रेरणा का स्त्रोत भी बना। इस संदर्भ में युवा साथी श्री हरि प्रसाद शर्मा, श्री विनोद मोर, श्री पवन सीकारीया, श्री मुरलीधर तोशनीवाल, श्री सरोज जैन, श्री कमल अगरवाल, श्री निरंजन धीरसरीया, श्री संजीव गोयल, श्री प्रमोद जैन, श्री प्रकाश पंसारी आदि का सहयोग न केवल उल्लेखनीय है बल्कि अधिवेशन की कल्पित सफलता का मूल कारण भी।
-श्री अनिल जैना,
स्वागत मंत्री-अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन युवा मंच
[प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन]
संदर्भ:मंचिका 1985
अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन युवा मंच
प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन
स्वागत समिति
स्वागताध्यक्ष:
प्रमोद्ध सराफ,
संयोजक (संगठन समिति): सुरेश कुमार बेड़िया,
मंत्री (संगठन समिति): प्रमोद कुमार जैन
मंचिका संपादक: श्री प्रदीप कुमार जैन
प्रथम मंचिका का आवरण चित्र -1985 (अधिवेशन विशेषांक)
South Delhi Branch: Manch Stephana Divas
On the occasion of Manch Stephana Divas and start of Rajat Jyanti Marwari Yuva Manch South Delhi Branch decided to distribute 125 Blankets to the needy person. We the members of Manch will assembled at the Residence of Manoj Jain our Secretary at 11.00 night on 20th January and then proceeds for the roads on which these person generally sleeping in night without having proper warm cloth. Any body found without or inadequate warm cloth will be provided one blanket without the knowledge of the desired person. All the members are request to Join this programme.
Mahesh Bansal, Branch President,
South Delhi Branch:
रजत जयंती वर्ष कार्यक्रम : एक रूपरेखा
नये पदाधिकारियों की सूची जो अभी तक जारी की गई है:
सर्वश्री:
जीतेन्द्र कुमार गुप्ता - राष्ट्रीय अध्यक्ष
ओम प्रकाश अग्रवाल - राष्ट्रीय उपाध्यक्ष क्षेत्र - क
गोविन्द मेवाड़ - राष्ट्रीय उपाध्यक्ष क्षेत्र - ख
संजय संथालिय - राष्ट्रीय उपाध्यक्ष क्षेत्र - ग
अक्षय खण्डेलवाल - राष्ट्रीय उपाध्यक्ष क्षेत्र - घ
विरेन्द्र धोका - राष्ट्रीय उपाध्यक्ष क्षेत्र - ड.
गोपाल केडिया - राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिल्ली से
श्रीमती अंजू अग्रवाल - राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री दिल्ली से
अनिल मोहनका - राष्ट्रीय सहायक मंत्री- क वर्नपूर से
मनमोहन सारडा - राष्ट्रीय सहायक मंत्री- ड. ताण्डूर से
बाकी समिति की घोषणा बाद में की जायेगी -
साभार: मंच संदेश
January 18, 2009
Today SMS
Mym and Jagruti branch Gandhidham [Gujarat] organizes polio checkup for free operation &tricycle, wheelchair, clipper, hearing aids distribution on Manch diwas - Mohan Jangid, Branch President
Mym Noida Branch going to organize blood donation camp on 8th February – Dinesh Chandak Branch Secretary
Mym Sarupather[Assam] is going to organise Manch Stahapana Diwas tomorrow & is honoring all pass President and Secretary of the branch – Dinesh Bhilwaria, Branch Secretary, Sarupathar Branch , Assam
January 17, 2009
राजस्थानी शब्द का प्रयोग - शम्भु चौधरी
धीरे-धीरे मारवाड़ी शब्द संकुचित और रूढ़ीगत दायरे की चपेट से बाहर आने लगा है। अब यह शब्द देश के विकास का सूचक बनता जा रहा है। एक समय था जब इतर समाज के साथ-साथ समाज के लोग भी इसे घृणा का पर्यावाची सा मानने लगे थे। समाज के जो युवक पढ़-लिख लेते थे वे अपने आपको न सिर्फ समाज से अलग मानते थे, वरण कई ऐसे भी थे जो अपने नाम के आगे जाति सूचक टाइटल को भी हटा दिया करते थे ताकी उनको सरकारी नौकरी करने में सहुलियत हो। इसके प्रायः दो करण थे- पहला समाज के भीतर सरकारी नौकरी करना अच्छा नहीं माना जाता था। दूसरा नौकरी करने वाले बच्चे की शादी समाज के भीतर करना एक टेढ़ी खीर सी थी। आज भी समाज में ऐसे लोग भरे पड़े हैं जिसमें हम रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर श्री विमल जालान का नाम उदाहरण के तौर पर रख सकते हैं। जिबकी इनके पिता स्व. ईश्वरदास जालान जाति सूचक शब्द ‘मारवाड़ी’ में पूरी आस्था रखते थे एवं जाति सूचक ‘मारवाड़ी’ शब्द से शुरू की गई संस्था ‘‘ मारवाड़ी सम्मेलन’’ के जन्मदाता के रूप में आपका नाम लिखा जाता है। कई बार हरियाणा के मारवाड़ी राजस्थानी शब्द को लेकर विचलित हो जाते हैं। कई सभाओं में इस बात का विवाद अनजाने में ही शुरु हो जाता है कि सभा में या संविधान में सिर्फ राजस्थानी भाषा और संस्कृति पर ही चर्चा क्यों होती है इस तरह क अनसुलझे प्रश्न सामने आते रहते है। जिसका समाधान भी खोजा जाता है, चुकिं उपयुक्त उत्तर के अभाव में विवाद को टालने के लिए सिर्फ ‘मारवाड़ी’ शब्द का प्रयोग किया जाता रहा है।
जहाँ तक मेरा मानना है कि 'मारवाड़ी' - शब्द न कोई जाति, न धर्म और न ही किसी प्रान्त का द्योतक है जैसे- पंजाबी, बंगाली, गुजराती आदि कहने से अहसास होता है। राजस्थान व राजस्थानी सीमावर्ती इलाके जिसमें हरियाणा व पंजाब के कुछ हिस्से जो कालांतर भौगोलिक रेखाओं में परिवर्तन के चलते इन प्रान्तों में राजपुताना रियासतों का विलय कर दिया गया को, के प्रवासी लोगों को भारत के अन्य प्रान्तों या विदेशों में भी 'मारवाड़ी ' शब्द से जाना व पहचाना जाता है। जबकि इन सबकी संस्कृति और भाषा एक ही है। [ मुसलमानों को छोड़कर]।
यहाँ पंजाब और हरियाणा क्षेत्र के राजस्थानी जो एक समय राजपुताने क्षेत्र में ही आते थे, अब भूगौलिक परिवर्तन व पंजाब और हरियाणा प्रान्तों के रूप में जाने जाने के चलते इस क्षेत्र का मारवाड़ी समाज अपने आपको पंजाबी या हरियाणवी ही मानने लगे हैं, जबकि इनकी बोलचाल-भाषा, पहनवे, रीति-रिवाज, राजस्थानी भाषा संस्कृति से मिलते ही नहीं राजस्थानी संस्कृति ही है। इसीलिए प्रवासी मारवाड़ी समाज के लिये आमतौर पर राजस्थानी शब्द का ही प्रयोग किया जाता है भले ही वे हरियाणा या पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्र से ही क्यों न आतें हों पिछले दिनों यह प्रश्न उठा कि मारवाड़ी से तात्पर्य जब राजस्थानी भाषा और संस्कृति से ही लगाया जाता है तो हरियाणा की क्या कोई अपनी संस्कृति नहीं है? यह प्रश्न आज की युवा पीढ़ी का उठाना वाजिब सा लगता है जब हरियाणा एक समय पंजाब के अन्तर्गत आता था तो यह बात पंजाब के साथ भी उठती थी की हरियाणा की अपनी अलग संस्कृति है इस पंजाब से अलग कर दिया जाय और हुआ भी ऐसा ही पंजाब ने यह स्वीकार किया कि हरियाणा को एक अलग राज्य का दर्जा देना ही उचित रहेगा। परन्तु इस राज्य के अलग दर्जे को प्राप्त कर लेने से जो क्षेत्र राजस्थान रियासतों के अधिन आते थे उनकी भाषा, संस्कृति, पहनावे, खान-पान , रीति-रिवाज हो या पर्व त्योहारों सभी में एक समानता पाई जाती थी जो थोड़ा बहुत अन्तर था तो वह सिर्फ बोली का ही था।[ देखें दिये गये एक चित्र के लाल निशान को जिसमें हिसार, भिवानी, रोहतक, गुड़गावं, लेहारू, महेन्द्रगढ़, पटियाला और दिल्ली का भी छोटा सा भाग राजपुताने क्षेत्र में दिखाया हुआ है। जो इन दिनों हरियाणा राज्य में आते हैं।] इसलिए राजस्थानी शब्द की व्यापकाता पर हमें सोचने की जरुरत है न कि प्रान्तीयता के नजरिये से होकर हमें अपने अन्दर संकुचित विचार पैदा करने की।
आपकी शाखा स्तंभ
मंच अपने रजत जयन्ती वर्ष मनाने की तरफ कदम रखने जा रहा है । 20 जनवरी-2009 से 20 जनवरी 2010 तक मंच रजत जयन्ती वर्ष को मंच बड़ी धूमधाम के साथ मनाने की योजना बना रहा है इसके लिए मंच के पूर्व अध्यक्ष श्री अरूण बजाज को संयोजक बनाया गया है। शीघ्र ही राष्ट्रीय स्तर पर इसके कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी मंच सदस्यों को 'मंच संदेश' के माध्यम से भेजी जानी है। बिहार प्रांतीय अध्यक्ष श्रीमती सरीता बजाज ने इस पहल को सर्वप्रथम अपने ब्लॉग पर जारी कर " रजत जयंती कार्यक्रमों " की घोषणा कर दी है। जो निम्न प्रकार हैं।
अतः आप सभी मंच सदस्यों से अनुरोध है कि आप भी अपनी शाखा कार्यक्रमों की प्रर्दशनी हमें मेल या डाक द्वारा भेंजे जिसे हम यहाँ प्राप्त होते ही जारी कर देगें, ताकी आपकी शाखा प्रदर्शनी को देशभर की शाखायें भी देख सके। साथ ही आपकी शाखा जिस मंच सदस्य का सम्मान करने की योजना बना रही है, उनका परिचय फोटो के साथ हमें जरूर से भेंजे ताकी उनको भी आपकी शाखा स्तंभ में स्थान दिया जा सकेगा - मंच समाचार
परिचय: श्री श्यामानन्द जालान
13 जनवरी 1934 को जन्मे श्री जालान का लालन पालन एवं शिक्षा-दीक्षा मुख्यतः कलकत्ता एवं मुजफ्फरपुर में ही हुई हैं। बचपन से राजनैतिक वातावरण में पले श्री जालान के पिता स्वर्गीय श्री ईश्वरदास जी जालान पश्चिम बंगाल विधान सभा के प्रथम अध्यक्ष थे। वकालत का पेशा निभाते हुए रंगमंच के प्रति अपने दायित्व और प्रतिबद्धता को पूरी निष्ठा से निभाने वाले इस रंगकर्मी को ‘नए हाथ’ नाटक के लिए 1957 में सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए एवं 1973 में जीवन की जीवन की संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत कर सम्मानित किया जा चुका है।
श्री जालान को भारतीय रंगमंच का एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है। बचपन से नाटक से जुड़े श्री जालान एक प्रगतिशील रंगकर्मी, सशक्त अभिनेता एवं सफल निर्देशक हैं। इनकी शुरुआत हिन्दी नाटकों से हुई मगर बाद में बंगला में ‘तुगलक’ के निर्देशन एवं अँग्रेजी में ‘आधे-अधूरे’ के अभिनय के लिए भरपूर सराहना प्राप्त की।
बंगला फिल्म ‘चोख’ के लिए विशिष्ट सहायक अभिनेता का पुरस्कार बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एशोसियेशन द्वारा दिया गया। ‘तरुण संघ’ ‘अनामिका’ एवं ‘पदातिक’ जैसी नाट्य संस्थाओं के संस्थापक निर्देशक श्री जालान भारतीय सांस्कृतिक संघ परिषद - भारत महोत्सव और भारतीय नाटक संघ में कई देशों की यात्रा कर चुके हैं तथा मास्को, बर्लिन, फ्रेकफर्ट, हवाना और कनाडा में आयोजित कई नाट्य-गोष्ठियों में भारतीय रंगमंच का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। आपने टी0बी0 सीरियल ‘कृष्णकांत का वसीयतनामा’ का निर्देशन किया एवं टी0बी0 फिल्म ‘सखाराम बाइंडर’ का निर्देशन भी आपने ही किया है।
सर्वप्रथम आपने हरि कृष्ण प्रेमी द्वारा लिखित ‘मेवाड़ पतन’ नामक नाटक में एक चपला युवती का अभिनय किया था। जिसका निर्देशन किया था। ललित कुमार सिंह नटवर ने, उसके बाद स्काटिश चर्च कॉलेज में ललित कुमार जी के ही निर्देशन में उपेन्द्रनाथ का ‘अधिकार के रक्षक’ नाटक में अभिनय किया । 1949 से तरुण संघ के अंतर्गत नाटक करने लगे।
आपने तरुण राय से आधुनिक नाट्य विद्या और पश्चिमी नाट्य शैली का परिचय प्राप्त किया। उनके लिखे एक बाल नाटक ‘रूप कथा’ का ‘एक थी राजकुमारी’ के नाम से हिन्दी में अनुवाद और निर्देशन किया, इन्होंने ही बतौर निर्देशक यह इनका पहला नाटक था।
सन् 1955 में भँवरमल सिंघी, सुशीला सिंघी, प्रतिभा अग्रवाल के साथ मिलकर ‘अनामिका’ की स्थापना की।
सन् 1971 तक का काल जब श्यामानन्द जी ‘अनामिका’ से अलग हुए, ‘अनामिका’ और श्यामानन्द दोनों के जीवनकाल में इस काल के पूर्व तक कई महत्वपूर्ण प्रस्तुतियाँ सामने आई। जिन्होंने ‘अनामिका’ और श्यामानन्द जालान को गौरवपूर्ण पद पर प्रतिष्ठित किया। उनमें विशेष उल्लेखनीय है। ‘छपते-छपते’, ‘लहरों के राजहंस’, ‘शुतुरमुर्ग’ तथा ‘इन्द्रजीत’ इन चारों के निर्देशक श्यामानन्द जालान थे। श्यामानन्दजी की एक और प्रस्तुति ‘विजय तेन्दुलकर’ के इस नाटक को उन्होंने सर्वथा भिन्न शैली में प्रस्तुत किया।
‘अनामिका’ में श्यामानन्द की यह अंतिम प्रस्तुति थी। इसके बाद कुछ व्यक्तिगत कारणों से आप ‘अनामिका’ से अलग हो गए। सन् 1972 में उन्होंने ‘पदातिक’ नाम से एक अलग संस्था को जन्म दिया। जिसके तत्वाधान में शुरूआती वर्ष में ‘गिधाड़े’, ‘सखाराम बाईपुर’, ‘हजार चैरासी की माँ तथा शकुंतला’ नाटकों का संचय किया गया। ‘पदातिक’ बन जाने के बाद कोलकता के हिन्दी रंगमंच में नए दौर की शुरुआत हुई। आज कोलकात्ता जैसे शहर में ‘पदातिक’ एक शिक्षण संस्थान के रूप में काफी चर्चित हो गई है। जिसका एक मात्र श्रेय श्री श्यामानन्द जी जालान को ही जाता है।
श्यामानन्द जालान ( 'पदातिक' ) की प्रस्तुति
1949- नया समाज, 1950- विवाह का दिन, 1951- समस्या, 1952- अलग अलग रास्ता, 1953- एक थी राजकुमारी, 1954- कोणार्क, 1955- चंद्रगुप्त, 1956- हम हिन्दुस्तानी है, 1956- संगमरमर पर एक रात, 1956- सत्य किरण, 1957- नदी प्यासी थी, 1957- पाटलीपुत्र के खंडहर में, 1957- नये हाथ, 1958- अंजो दीदी, 1958- नवज्योती के नयी हिरोइन, 1958- नीली झील, 1959- जनता का शत्रु, 1959- कामायनी (डांस ड्रामा), 1960- आशाढ़ का एक दिन, 1961- घर और बाहर, 1963- शेष रक्षा, 1963- छपते छपते, 1964- मादा कैक्टस, 1966- लहरों के राजहंस, 1967- शुतुरमुर्ग, 1968- मन माने की बात, 1968- एवम् इंद्रजीत, 1970- आधे अधूरे, 1971- पगला घोड़ा, 1972- पंछी ऐसे आते हैं, 1972- तुगलक (बांग्ला),1973- सखाराम बाइंडर, 1977- गुड वुमन आफ सेटजुआन, 1978- हजार चैरासी की माँ, 1980- कौवा चला हंस की चाल, 1980- शकुंतलम्, 1981- पंक्षी ऐसे आते हैं, 1982- उद्वास्त धर्मशाला, 1982- बीबियों का मदरसा, 1983- आधे अधूरे, 1985- मुखिया मनोहरलाल, 1987- कन्यादान, 1987- क्षुदितो पाशाण, 1988- राजा लियर, 1989- बीबियों का मदरसा, 1991- सखाराम बाइंडर, 1992- आधार यात्रा, 1995- रामकथा रामकहानी, 1998- कौवा चला हंस की चाल, 2000- खामोश अदालत जारी है, 2006- माधवी, 2008- लहरों के राजहंस।
नोट: निर्देषक और अभिनेता के रूप में इन नाटकों में श्री श्यामानन्द जालान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 'पदातिक' संपर्क: 09830059978
संदर्भः ‘मंचिका’ विकासोत्सव विशेषांक
To day Quotation
18.01.2009
SMS From Noida Branch
आपकी संवेदनशील लेखनी को मेरा प्रणाम
आपका पत्र "आक्रोश" मेरा मंच ब्लॉग पर पढ़ा । आपकी संवेदनशील लेखनी को मेरा प्रणाम।
मंच को आपलोगों ने सींचा है। इसका मैं सम्मान करता हूँ। जो प्रश्न उम्र को लेकर उठे हैं इसमें किसी भी प्रकार की राजनीति मैं भी नहीं चाहता। मैं चाहता हूँ कि संविधान की जिस धारा को हम आज आसानी से तोड़ पा रहें हैं इस सुराख को भविष्य के लिए हमेशा से बन्द कर दिया जाना चाहिये । मुझे व्यक्तिरूप से श्री अक्षय जी या श्री ओमप्रकाश जी की काबलियत पर जरा भी संदेह नहीं है। ये मंच के जिम्मेदार सदस्य हैं। पर जरा सोचिय यदि इस सुराख को बन्द नहीं किया गया तो आगे क्या होगा। किस-किस को हम रोकते फिरेगें। हम आक्रोश की जगह समाधान की तरफ सोचना चाहिये। आपका ही- शम्भु चौधरी
सेवा में श्री अनिल कुमार वर्मा, पटना।
आपके पत्र: श्री शंकर अग्रवाल जी और श्री विनोद लोहिया जी गुवाहाटी का पत्र मिला। उनकी भावना की कद्र करता हूँ। किसी भी सदस्य की भावना को ठेस पहुँचाना हमारा उद्देश्य कतई नहीं रहा फिर भी किसी की भावना को कष्ट हुआ हो तो उन सभी हम से क्षमाप्राथी हैं। - संपादक
इनके लेख का लिंक देखें।
January 16, 2009
CAR RALLY ON SUNDAY
Marwari Yuva Manch South Delhi is organizing one Treasure Hunt Car rally cum Picnic on 18/01/2009. The detailed programme is which is as under:
TREASURE HUNT CAR RALLY ON SUNDAY 18TH JANUARY 2009
Treasure Hunt Car Rally is a very interesting, fun filled, adventurous family event. Marwari Yuva Manch, South Delhi Branch has been organizing it since last some years for the members.
AIM OF THIS RALLY
To bring awareness about a specific problem by carrying a message on cars and promote friendship among member families.
WHAT IS TREASURE HUNT CAR RALLY?
Rally will be organized in three stages.
1st stage: Participants shall be given a set of clues. They have to first decode these clues than reach that place and get the clue sheet stamped from the volunteer prominently available at the site with red cap, red shirt with MYM written on it. Clue sheet of last year is mentioned below for reference. Clue locations will be at a reasonable distance from the starting point.
2nd stage: During Rally participants may have to collect some simple things to accumulate extra points. Requirements will be disclosed at the beginning of the rally.
3rd stage: After arrival at the finishing point if the participants fulfill some on the spot requirements they will gain extra points. Example: 4 five rupee coins.
SPECIAL PRIZES
Participants taking minimum time to reach the finishing point completing 1st and 2nd stage would be given a prize. Special prize will be given to the car driven by a lady who completes 1st and 2nd stage. Special honor for all senior citizens (above 60 years).
YOU GAIN EXTRA POINTS FOR
SCHEDULE FOR RALLY PARTICIPANTS
Flag off from:
Safderjung club, Near Kamal Cinema, Safderjung enclave.
Reporting Time: 10 AM
Rally Starts: 10.30 AM
Finishing Point:
Farm No. 28 Bandh Road Village Samalaka near UPPAL
ORCHID HOTEL Opp. Shiv Murti Dwarka Road.
Last arrival by: 12.30 PM
DECISION OF THE MANAGEMENT SHALL BE FINAL
SCHEDULE FOR ONLY PICNIC PARTICIPANTS
Arrival & Fellowship:12 Noon followed by Games, Lunch and afternoon tea.
FOR ANY CLARIFICATION PLEASE CONTACT
Convener, Manmohan Jain, Phone: 9811044866 (For rally guidance).
Convener, Pramod Agarwal,Phone: 9810320319 (For venue route guidance).
Convener, Suresh Dugar, Phone: 9811363724 (For Picnic).
President, Mahesh Bansal, Phone: 9810010827
Secretary, Manoj Jain, Phone: 9811076903
EXAMPALARY CLUES FOR REFERENCE
1.Cemented white elephant standing near Qutub Minar.
2.1st multiplex of Delhi
3.Sealed CTC Plaza (MALL) between Ashram and DND flyover.
4.1st PVR of Delhi.
January 15, 2009
मारवाड़ी कौन?
भवानीपटना [ उडिसा] से श्री राजेश कुमार जैन ने एक पत्र भेजा उनका प्रश्न है कि : "मारवाड़ी कौन?" लिखते हैं कि " कुछ दिनों से एक प्रश्न बारबार दिमाग में आ रहा है कि "मारवाड़ी कौन?" हमारे यहाँ बहुत से लोगों को इस जानकारी में रहतें हैं कि मारवाड़ क्षेत्र से आने वाले को मारवाड़ी कहा जाता है। तो हरियाणा से आये लोगों का क्या संबोधन होना चाहिये? फिर आप अपने पत्रिकाओं में राजस्थानी भाषा-संस्कृति को ही प्रधानता देते रहे हैं। क्या हरियाणा की कोई भाषा-संस्कृति, इतिहास नहीं है? कृपया इस विषय पर मेरा मार्गदर्शन करें। - राजेश कुमार जैन - 0-9437092219
आपणी भाषा - आपणी बात
आपरी संस्कृति अर परम्परा रै पांण राजस्थान री न्यारी पिछाण। रणबंका वीरां री आ मरुधरा तीज-तिवारां में ई आगीवांण। आं तीज-तिवारां नै सरस बणावै अठै रा प्यारा-प्यारा लोकगीत। जीवण रो कोई मौको इस्यो नीं जद गीत नीं गाया जावै। जलम सूं पैली गीत, आखै जीवण गीत अर जीवण पछै फेर गीत। ऐ गीत इत्ता प्यारा, इत्ता सरस कै गावणिया अर सुणणियां रो मन हिलोरा लेवण लागै।
लोकगीतां रो लिखारो कुण है, इण बात रो ठाह किणी नै नीं। लोकगीत तो आम जनता री भाषा। खासतौर सूं ऐ लोकगीत लुगायां रै हिवड़ै री उपज। लुगायां रा गीत न्यारा। मिनखां रा गीत न्यारा। रजवाड़ी गीत न्यारा। राजस्थान में भोत-सी गायक जातियां हैं जकी गायन नै आपरो हीलो बणायो। ऐ जातियां हैं- लगां, मांगणियार, भोपा-भोपी, फदाली, कळावन्त, गंधर्व, राणा, मिरासी, ढोली, ढाढी, नगारची, दमामी, जांगड़, नट, पातर, कंचनी, गेला, खारे़ड, देधड़ा, बोघर, बाबर, डगाधोला, थईम, डोसावसी, गुणसार, फुलवाणी, बोमणियां, भटि्टका अर जीण। हरेक गीत में मिनखां रै हिवड़ै री किलोळ परगट हुवै। गांव-गळी अर घर-परवार में गाया जावण वाळा गीतां रो तो कोई छे़डो नीं, पण राजस्थानी लोकगायक जिका गीत गावै वां रा कीं नांव बांचो- विनायक, ईण्डुणी, ओळूं, कागलियो, उमराव, काजळियो, केसरिया बालम, कुरजां, कलाली, काछबो, कूकड़ो, केसर, कोयलड़ी, कामण, गणगौर, गोरबंद, तीज, बिच्छु़डो, घु़डलो, घोड़ी, चटणी, चरखो, चिरमी, बन्नो, बन्नी, जलाल, जंवाई, जल्लो, जीरो, झालो, झूटणियो, डिगीपुरी का राजा, ढोला, तारां री चूंदड़ी, तेजो, तोरणियो, दळ-बादळी, बिछियो, निहालदे, नींबू़डो, धरती धोरां री, पणिहारी, पौदीनो, पटेल्यो, पींपळी, बियाणा, रसिया, बालम, बायरियो, बीरो, बाजू़डै री लूम, पंछीड़ो, मरवण, माहेरो, मूमल, मोरियो, मेथी, मैन्दी, घूमर, मींझर, राइको, रायधण, रुपीड़ो, रुमाल, चंग, पपइयो, लांगुरिया, सुपनो, सूवटियो, सूंठ, सोरठ, हिंडोळो, हंजामारू, हळदी, हिचकी, हींडो। और घणा ई नांव है।
लोकगीतां बावत अस्तअलीखां मलकांण रो एक छप्पय छंद इण भांत है-
लोकगीत ऐ प्रांण, आपणी संस्क्रति रा।
उघड़ै बै चितरांम, जनजीवण री क्रति व्रति रा।।
आं गीतां रै मांय, आपणो जीवण बोलै।
पड़ै बोल जद कान, जाण बो इमरत घोळै।।
जीवण निजू प्रगट हुवै, आं ई गीतां रै पांण।
अतीत रो दरसण हुवै, पुरखां पांण-आपांण।।
आज रो औखांणो
लोक-वांणी सो देव-वांणी।
जो जनता की वाणी है, जनार्दन की वाणी है।
अनेक लोगों की राय ही ईश्वर की राय है।
Noida Branch
January 14, 2009
श्री अरूण डागा का परिचय
श्री अरूण डागा का परिचय इन दिनों संगीत की दुनिया में प्राइवेट एलबम की धूम मची हुई है। इसके लिये किसी भी गायक को अपनी पूरी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है। आज यहाँ हम कोलकाता के श्री अरूण डागा का परिचय आप सभी से करवातें हैं मूझे याद है जब श्री अरूण जी, गोपाल कलवानी के अनुरोध पर कोलकाता के 'कला मंदिर सभागार' में मारवाड़ी युवा मंच के एक कार्यक्रम- "गीत-संगीत प्रतियोगिता" में जैसे ही गाना शुरू किये सारा हॉल झूमने लगा था। once more... once more... की आवाजें चारों तरफ से गुंजने लगी थी। आईये अपने हमदम साथी से मिलें। - संपादक
A boy of eight, singing in a perfect pitch and rhythm, mesmerizing large crowd in a school function and getting a standing ovation.
This is Arun Daga,…..they knew a star is born,
Being blessed with a velvet voice, which is naturally melodious and with the right ambience around him, Arun Daga born in Calcutta, grew into a brilliant singer, His inborn talent in music was groomed under the warm and supportive touch of Pt.Mohanlalji & Pt. Sohantalji Mishra of Banaras Gharana in the traditional “Guru Shishya parampara” and his inspiration comes from his Grandfather Lt. Girdhar Lal Daga
Brushes with success :
Within no time he achieved a marvelous flow in Indian Classical Music (Khayal), Bhajans, Ghazals ,Folk numbers and yes..... Hindi pop. To add to his credit he was awarded Sangeet Visharad in Classical by Pracheen Kala Kendtra Chandigarh and soon became recognised performer of All India Radio in Khayal Gayaki. But this was only to be one of the many accolades to follow. Arun began to explore his skills of entertaining live audiences and began to be invited to perform in several shows conducted by music organizations and clubs. One successful show led to another and very soon Arun was confidently doing concerts ranging from folk songs to classic numbers and from melodies of Bollywood to INDI POP covering both seasonal and spiritual concerts in several languages including Hindi, Sanskrit, Punjabi, Bengali, Rajasthani etc., After having given over 500 stage shows all over the country, including with many Bollywood celebrities, it has now become a regular affair with Arun, to relish to the thundering applauds from the lively audience.
Further accolades :
Encouragement came in the form of further award and greater and wider appreciation from all the corners.
Several prestigious awards and titles have been conferred upon him, like:
Arun Daga today is a name to reckon with. Listening to him is a joy, for the ears & soul as he provides maximum vivacity in the numbers which is very rarely seen in the music industry.
News Paper Cutting:
http://arundaga.com/khabren.html,
http://arundaga.com/4.html
Contact Address:
Arun Daga
Bunglow No. 134, SVP Nagar
4, Bungalows, Andheri (West) Mumbai -400053
Self: 09821727990, Naushad : +919821359614
Web Site: http://arundaga.com/
Email: arun@arundaga.com
यह क्षेत्र इस्लामी कट्टरपंथियों के हाथ
मुम्बई पर हुए आतंकवादी आक्रमण से एक सन्देश स्पष्ट है कि अब यदि समस्या को नही समझा गया और इसके जेहादी और इस्लामी पक्ष की अवहेलना की गयी तो शायद भारत को एक लोकतांत्रिक और खुले विचारों वाले देश के रूप में बचा पाना सम्भव न हो सकेगा और यही चिंता समस्त विश्व को हुई है कि कहीं इस्लामवादी आन्दोलन अब मध्य पूर्व के बाद दक्षिण एशिया में अपनी पैठ न बना ले क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश पहले ही इस्लामी चरमपंथियों के हाथ में खेल रहे हैं और भारत सहित दक्षिण एशिया की मुस्लिम जनसंख्या कुल जनसंख्या के 57 प्रतिशत से भी अधिक है और यदि यह क्षेत्र इस्लामी कट्टरपंथियों के हाथ में आ गया तो विश्व का नक्शा क्या होगा?
पूरा लेख इस लिंक से पढ़ें:
झारखंड प्रान्त: स्थापना दिवस की तैयारी शुरू
जमशेदपुर। अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस पल को यादगार बनाने के लिए मंच के सदस्य तैयारियों में जुट गये हैं।
20 जनवरी को मंच स्थापना के इस विशेष कार्यक्रम के लिए झारखंड के 56 शाखाओं द्वारा वृहद कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा, जिसमें नगर की तीन शाखाएं भी शामिल हैं। मंच के प्रांतीय अध्यक्ष के नेतृत्व में जमशेदपुर शाखा द्वारा आयोजित उक्त कार्यक्रम में मंच की वेबसाइट लांच किया जाएगा। साथ ही साथ समाज के विकास एवं कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा। इस अवसर पर विभिन्न समाज के लोगों को जोड़कर एक परिचर्चा भी करवायी जायेगी। इसके लिए प्रचार अभियान शुरू हो चुका है।
सेटन हॉल यूनिवर्सिटी में गीता पढ़ना अनिवार्य
अमेरिका की सेटन हॉल यूनिवर्सिटी में सभी छात्रों के लिए गीता पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया है।इस यूनिवर्सिटी का मानना है कि छात्रों को सामाजिक सरोकारों से रूबरू कराने के लिए गीता से बेहतर कोई और माध्यम नहीं हो सकता है। लिहाजा उसने सभी विषयों के छात्रों के लिए अनिवार्य पाठ्यक्रम के तहत इसकी स्टडी को जरूरी बना दिया है। यूनिवर्सिटी के स्टिलमेन बिजनस स्कूल के प्रफेसर ए. डी. अमर ने यह जानकारी दी।
यह यूनिवर्सिटी 1856 में न्यू जर्सी में स्थापित हुई थी और एक स्वायत्त कैथलिक यूनिवर्सिटी है। यूनिवर्सिटी के 10, 800 छात्रों में से एक तिहाई से ज्यादा गैर ईसाई हैं। इनमें भारतीय छात्रों की संख्या अच्छी-खासी है। गीता की स्टडी अनिवार्य बनाने इस फैसले के पीछे प्रफेसर अमर की प्रमुख भूमिका रही। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में कोर कोर्स के तहत सभी छात्रों के लिए अनिवार्य पाठ्यक्रम होता है, जिसकी स्टडी सभी विषयों के छात्रों को करनी होती है। 2001 में यूनिवर्सिटी ने अलग पहचान कायम करने के लिए कोर कोर्स की शुरुआत की थी। इसमें छात्रों को सामाजिक सरोकारों और जिम्मेदारियों से रूबरू कराया जाता है। अमर ने बताया कि इस मामले में गीता का ज्ञान सर्वोत्तम साधन है। गीता की अहमियत को समझते हुए यूनिवर्सिटी ने इसकी स्टडी अनिवार्य की।
डॉ.श्यामसुन्दर हरलालका निर्विरोध नये अध्यक्ष
पूर्वोत्तर मारवाड़ी सम्मेलन की प्रादेशिक कार्यकारिणी बैठक एवं प्रादेशिक सभा की बैठक नगाँव में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। बैठक को सफल बनाने में उपस्थित सभासदों का योगदान सराहनीय रहा। सभा में आगामी सत्र वर्ष 2009 एवं 2010 हेतु गौहाटी के डॉ.श्यामसुन्दर हरलालका को निर्विरोध नये अध्यक्ष के रूप में चुने गये। इसी सभा में श्री हरलालकाजी को पूर्व प्रादेशिक अध्यक्ष श्री ओंकारमल अग्रवाल ने औपचारिक रूप से अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई। विदित रहे कि डॉ.श्यामसुन्दर हरलालका को पूर्वोत्तर की अधिकतर शाखाओं का समर्थन प्राप्त था एवं सभा ने सर्वसम्मति से उन्हें अध्यक्ष चुना है।
गुवाहाटी उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ.श्यामसुन्दर हरलालका विगत 40 वर्षों से सम्मेलन सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हैं। आप एक शिक्षाविद, वक्ता, लेखक, चिंतक एवं कुशल संगठक हैं। आपने धुबड़ी शहर के महापौर, चैंबर के सभापति, कानून महाविद्यालय के प्राचार्य के रूप में भी अपनी सेवायें प्रदान की हैं। हाल ही में आपकी अंग्रेजी में ‘बांगलादेशी इनमेसन’ नामक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसका प्राक्कथन असम साहित्य सभा के सभापति ने लिखा है। इसके अलावा भी आपने अनगिनत लेख एवं किताबें लिखी हैं। हमें आशा है कि आपके नेतृत्व में मारवाड़ी सम्मेलन में आपका पिछला लम्बा अनुभव सम्मेलन को नई ऊँचाईयाँ प्रदान करेगा।
उत्कल प्रान्तीय मारवाड़ी युवा मंच
राजेश अग्रवाल सर्वश्रेष्ठ प्रान्तीय उपाध्यक्ष
उत्कल प्रान्तीय मारवाड़ी युवा मंच की सप्तम प्रान्तीय कार्यकारिणी समिति की चतुर्थ बैठक एवं 19वीं प्रान्तीय सभा ‘प्रगति-2008’’ भारी सफलता के साथ सह राउरकेला शाखा के अतिथ्य में सम्पन्न हुई। आयोजन में विभिन्न शाखाओं से 400 से कहीं ज्यादा प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राउरकेला के विधायक शारदा प्रसाद ने मारवाड़ी युवा मंच की 121 शाखा द्वारा चलाये जा रहे आक्सीजन सेवा, अमृतधार, कृत्रिम पैर प्रत्यारोपण, रक्तदान शिविर, ऐम्बुलेन्स सेवा आदि कार्यों की प्रसंशा की। प्रान्तीय महामंत्री नन्दूलाल अग्रवाल ने सचिव प्रतिवेदन प्रस्तुत किया व प्रान्तीय कोषाध्यक्ष रोहित निहाला ने आय-व्यय का व्योरा सभा पटल पर रखा। सामाजिक प्रतिभाओं को समाज गौरव सम्मान से नवाजा गया। इस अवसर पर श्री राजेश अग्रवाल सर्वश्रेष्ठ प्रान्तीय उपाध्यक्ष से सम्मानित किया गया।
युवाओं को ही दोषी ठहराता है समाज
लेखक: कृष्ण कुमार यादव
[स्वामी विवेकानंद का जन्म-दिवस:१२ जनवरी ''युवा-दिवस'' के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर देश की युवा शक्ति की संक्रमणकालीन स्थिति पर यह लेख प्रस्तुत करते हुए ''युवा'' ब्लॉग की तरफ से सभी को ''युवा-दिवस'' पर हार्दिक शुभकामनायें अर्पित करते हैं !!]
युवा किसी भी समाज और राष्ट्र के कर्णधार हैं, वे उसके भावी निर्माता हैं। चाहे वह नेता या शासक के रूप में हों , चाहे डॉक्टर, इन्जीनियर, वैज्ञानिक, साहित्यकार व कलाकार के रूप में हों। इन सभी रूपों में उनके ऊपर अपनी सभ्यता, संस्कृति, कला एवम् ज्ञान की परम्पराओं को मानवीय संवेदनाओं के साथ आगे ले जाने का गहरा दायित्व होता है। पर इसके विपरीत अगर वही युवा वर्ग उन परम्परागत विरासतों का वाहक बनने से इन्कार कर दे तो निश्चिततः किसी भी राष्ट्र का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
युवा शब्द अपने आप में ही उर्जा और आन्दोलन का प्रतीक है। युवा को किसी राष्ट्र की नींव तो नहीं कहा जा सकता पर यह वह दीवार अवश्य है जिस पर राष्ट्र की भावी छतों को सम्हालने का दायित्व है। भारत की कुल आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत है जो कि विश्व के अन्य देशों के मुकाबले काफी है। इस युवा शक्ति का सम्पूर्ण दोहन सुनिश्चित करने की चुनौती इस समय सबसे बड़ी है। जब तक यह ऊर्जा और आन्दोलन सकारात्मक रूप में है तब तक तो ठीक है, पर ज्यों ही इसका नकारात्मक रूप में इस्तेमाल होने लगता है वह विध्वंसात्मक बन जाती है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर किन कारणों से युवा उर्जा का सकारात्मक इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है? वस्तुतः इसके पीछे जहाँ एक ओर अपनी संस्कृति और जीवन मूल्यों से दूर हटना है, वहीं दूसरी तरफ हमारी शिक्षा व्यवस्था का भी दोष है। इन सब के बीच आज का युवा अपने को असुरक्षित महसूस करता है, फलस्वरूप वह शार्टकट तरीकों से लम्बी दूरी की दौड़ लगाना चाहता है। जीवन के सारे मूल्यों के उपर उसे ‘अर्थ‘ भारी नजर आता है। इसके अलावा समाज में नायकों के बदलते प्रतिमान ने भी युवाओं के भटकाव में कोई कसर नहीं छोड़ी है। फिल्मी परदे और अपराध की दुनिया के नायकों की भांति वह रातों-रात उस शोहरत और मंजिल को पा लेना चाहता है, जो सिर्फ एक मृगतृष्णा है। ऐसे में एक तो उम्र का दोष, उस पर व्यवस्था की विसंगतियाँ, सार्वजनिक जीवन में आदर्श नेतृत्व का अभाव एवम् नैतिक मूल्यों का अवमूल्यन ये सारी बातें मिलकर युवाओं को कुण्ठाग्रस्त एवम् भटकाव की ओर ले जाती हैं, नतीजन-अपराध, शोषण, आतंकवाद, अशिक्षा, बेरोजगारी एवम् भ्रष्टाचार जैसी समस्याएँ जन्म लेती हैं।
भारतीय संस्कृति ने समग्र विश्व को धर्म, कर्म, त्याग, ज्ञान, सदाचार और मानवता की भावना सिखाई है। सामाजिक मूल्यों के रक्षार्थ वर्णाश्रम व्यवस्था, संयुक्त परिवार, पुरूषार्थ एवम् गुरूकुल प्रणाली की नींव रखी। भारतीय संस्कृति की एक अन्य विशेषता समन्वय व सौहार्द्र रहा है, जबकि अन्य संस्कृतियाँ आत्म केन्द्रित रही हैं। इसी कारण भारतीय दर्शन आत्मदर्शन के साथ-साथ परमात्मा दर्शन की भी मीमांसा करते हैं। अंग्रेजी शासन व्यवस्था एवम् उसके पश्चात हुए औद्योगीकरण, नगरीकरण और अन्ततः पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव ने भारतीय संस्कृति पर काफी प्रभाव डाला। निश्चिततः इन सबका असर युवा वर्ग पर भी पड़ा है। आर्थिक उदारीकरण और भूमण्डलीकरण के बाद तो युवा वर्ग के विचार-व्यवहार में काफी तेजी से परिवर्तन आया है। पूँजीवादी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की बाजारी लाभ की अन्धी दौड़ और उपभोक्तावादी विचारधारा के अन्धानुकरण ने उसे ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा और शार्टकट के गर्त में धकेल दिया। कभी विद्या, श्रम, चरित्रबल और व्यवहारिकता को सफलता के मानदण्ड माना जाता था पर आज सफलता की परिभाषा ही बदल गयी है। आज का युवा अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों से परे सिर्फ आर्थिक उत्तरदायित्वों की ही चिन्ता करता है। युवाओं को प्रभावित करने में फिल्मी दुनिया और विज्ञापनों का काफी बड़ा हाथ रहा है पर इनके सकारात्मक तत्वों की बजाय नकारात्मक तत्वों ने ही युवाओं को ज्यादा प्रभावित किया है। फिल्मी परदे पर हिंसा, बलात्कार, प्रणय दृश्य, यौन-उच्छश्रृंखलता एवम् रातों-रात अमीर बनने के दृश्यों को देखकर आज का युवा उसी जिन्दगी को वास्तविक रूप में जीना चाहता है। फिल्मी परदे पर पहने जाने वाले अधोवस्त्र ही आधुनिकता का पर्याय बन गये हैं। वास्तव में परदे का नायक आज के युवा की कुण्ठाओं का विस्फोट है। पर युवा वर्ग यह नहीं सोचता कि परदे की दुनिया वास्तविक नहीं हो सकती, परदे पर अच्छा काम करने वाला नायक वास्तविक जिन्दगी में खलनायक भी हो सकता है।
शिक्षा एक व्यवसाय नहीं संस्कार है, पर जब हम आज की शिक्षा व्यवस्था देखते हैं, तो यह व्यवसाय ही ज्यादा ही नजर आती है। युवा वर्ग स्कूल व कॉलेजों के माध्यम से ही दुनिया को देखने की नजर पाता है, पर शिक्षा में सामाजिक और नैतिक मूल्यों का अभाव होने के कारण वह न तो उपयोगी प्रतीत होती है व न ही युवा वर्ग इसमें कोई खास रूचि लेता है। अतः शिक्षा मात्र डिग्री प्राप्त करने का गोरखधंधा बन कर रह गयी है। पहले शिक्षा के प्रसार को सरस्वती की पूजा समझा जाता था, फिर जीवन मूल्य, फिर किताबी और अन्ततः इसका सीधा सरोकार मात्र रोजगार से जुड़ गया है। ऐसे में शिक्षा की व्यवहारिक उपयोगिता पर प्रश्नचिन्ह लगने लगा है। शिक्षा संस्थानों में प्रवेश का उद्देश्य डिग्री लेकर अहम् सन्तुष्टि, मनोरंजन, नये सम्बन्ध बनाना और चुनाव लड़ना रह गया है। छात्र संघों की राजनीति ने कॉलेजों में स्वस्थ वातावरण बनाने के बजाय महौल को दूषित ही किया है, जिससे अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में युवा वर्ग की सक्रियता हिंसात्मक कार्यों, उपद्रवांे, हड़तालांे, अपराधों और अनुशासनहीनता के रूप में ही दिखाई देती है। शिक्षा में सामाजिक और नैतिक मूल्यों के अभाव ने युवाओं को नैतिक मूल्यों के सरेआम उल्लंघन की ओर अग्रसर किया है, मसलन-मादक द्रव्यों व धूम्रपान की आदतें, यौन-शुचिता का अभाव, कॉलेज को विद्या स्थल की बजाय फैशन ग्राउण्ड की शरणस्थली बना दिया है। दुर्भाग्य से आज के गुरूजन भी प्रभावी रूप में सामाजिक और नैतिक मूल्यों को स्थापित करने में असफल रहे हैं।
आज के युवा को सबसे ज्यादा राजनीति ने प्रभावित किया है पर राजनीति भी आज पदों की दौड़ तक ही सीमित रह गयी है। स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने जब मताधिकार की उम्र अट्ठारह वर्ष की थी तो उन्होंने इक्कीसवीं सदी युवाओं को इस आह्वान के साथ की थी पर राजनीति के शीर्ष पर बैठे नेताओं ने युवाओं का उपयोग सिर्फ मोहरों के रूप में किया। विचारधारा के अनुयायियों की बजाय व्यक्ति की चापलूसी को महत्ता दी गयी। स्वतन्त्रता से पूर्व जहाँ राजनीति देश प्रेम और कर्तव्य बोध से प्रेरित थी, वहीं स्वतन्त्रता बाद चुनाव लड़ने, अपराधियों को सरंक्षण देने और महत्वपूर्ण पद हथियाने तक सीमित रह गयी। राजनीतिज्ञों ने भी युवा कुण्ठा को उभारकर उनका अपने पक्ष में इस्तेमाल किया और भविष्य के अच्छे सब्जबाग दिखाकर उनका शोषण किया। विभिन्न राजनैतिक दलों के युवा संगठन भी शोदेबाजी तक ही सीमित रह गये हैं। ऐसे में अवसरवाद की राजनीति ने युवाओं को हिंसा भड़काने, हड़ताल व प्रदर्शनों में आगे करके उनकी भावनाओं को भड़काने और स्वंय सत्ता पर काबिज होकर युवा पीढ़ी को गुमराह किया है।
आदर्श नेतृत्व ही युवाओं को सही दिशा दिखा सकता है, पर जब नेतृत्व ही भ्रष्ट हो तो युवाओं का क्या? किसी दौर में युवाओं के आदर्श गाँधी, नेहरू, विवेकानन्द, आजाद जैसे लोग या उनके आसपास के सफल व्यक्ति, वैज्ञानिक और शिक्षक रहे। पर आज के युवाओं के आदर्श वही हैं, जो शार्टकट के माध्यम से ऊँचाइयों पर पहुँच जाते हैं। फिल्मी अभिनेता, अभिनेत्रियाँ, विश्व-सुन्दरियाँ, भ्रष्ट अधिकारी, अपराध जगत के डॉन, उद्योगपति और राजनीतिज्ञ लोग उनके आदर्श बन गये हैं। नतीजन, अपनी संस्कृति के प्रतिमानों और उद्यमशीलता को भूलकर रातों-रात ग्लैमर की चकाचैंध में वे शीर्ष पर पहुँचना चाहते हैं। पर वे यह भूल जाते हैं कि जिस प्रकार एक हाथ से ताली नहीं बज सकती उसी प्रकार बिना उद्यम के कोई ठोस कार्य भी नहीं हो सकता। कभी देश की आजादी में युवाओं ने अहम् भूमिका निभाई और जरूरत पड़ने पर नेतृत्व भी किया। कभी विवेकानन्द जैसे व्यक्तित्व ने युवा कर्मठता का ज्ञान दिया तो सन् 1977 में लोकनायक के आह्वान पर सारे देश के युवा एक होकर सड़कों पर निकल आये पर आज वही युवा अपनी आन्तरिक शक्ति को भूलकर चन्द लोगों के हाथों का खिलौना बन गये हैं।
आज का युवा संक्रमण काल से गुजर रहा है। वह अपने बलबूते आगे तो बढ़ना चाहता है, पर परिस्थितियाँ और समाज उसका साथ नहीं देते। चाहे वह राजनीति हो, फिल्म व मीडिया जगत हो, शिक्षा हो, उच्च नेतृत्व हो- हर किसी ने उसे सुखद जीवन के सब्ज-बाग दिखाये और फिर उसको भँवर में छोड़ दिया। ऐसे में पीढ़ियों के बीच जनरेशन गैप भी बढ़ा है। समाज की कथनी-करनी में भी जमीन आसमान का अन्तर है। एक तरफ वह सभी को डिग्रीधारी देखना चाहता है, पर उन सभी हेतु रोजगार उपलब्ध नहीं करा पाता, नतीजन- निर्धनता, मँहगाई, भ्रष्टाचार इन सभी की मार सबसे पहले युवाओं पर पड़ती है। इसी प्रकार व्यावहारिक जगत में आरक्षण, भ्रष्टाचार, स्वार्थ, भाई-भतीजावाद और कुर्सी लालसा जैसी चीजों ने युवा हृदय को झकझोर दिया है। जब वह देखता है कि योग्यता और ईमानदारी से कार्य सम्भव नहीं, तो कुण्ठाग्रस्त होकर गलत रास्तों पर चल पड़ता है। निश्चिततः ऐसे में ही समाज के दुश्मन उनकी भावनाओं को भड़काकर व्यवस्था के विरूद्ध विद्रोह के लिए प्रेरित करते हैं, फलतः अपराध और आतंकवाद का जन्म होता है। युवाओं को मताधिकार तो दे दिया गया है पर उच्च पदों पर पहुँचने और निर्णय लेने के उनके स्वप्न को दमित करके उनका इस्तेमाल नेताओं द्वारा सिर्फ अपने स्वार्थ में किया जा रहा है।
इसमें कोई शक नहीं कि युवा वर्ग ही भावी राष्ट्र की आधारशिला रखता है, पर दुःख तब होता है जब समाज युवाओं में भटकाव हेतु युवाओं को ही दोषी ठहराता है। क्या समाज की युवाओं के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं? जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्ति जब सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों का सरेआम क्षरण करते नजर आते हैं, तो फिर युवाओं को ही दोष क्यों? क्या मीडिया ''राष्ट्रीय युवा दिवस'' को वही कवरेज देता है, जो ''वैलेंटाइन-डे'' को मिलता है? एक व्यक्ति द्वारा अटपटे बयान देकर या किसी युवती द्वारा अर्द्धनग्न पोज देकर जो (बद्) नाम हासिल किया जा सकता है वह दूर किसी गाँव में समाज सेवा कर रहे व्यक्ति को तभी मिलता है जब उसे किसी अन्तराष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जाता है। आखिर ये दोहरापन क्यों ? युवाओं ने आरम्भ से ही इस देश के आन्दोलनों में रचनात्मक भूमिका निभाई है- चाहे वह समाजिक, शैक्षणिक, राजनैतिक या सांस्कृतिक हो। लेकिन आज युवा आन्दोलनों के पीछे किन्हीं सार्थक उद्देश्यों का अभाव दिखता है। युवा आज उद्देश्यहीनता और दिशाहीनता से ग्रस्त है, ऐसे में कोई शक नहीं कि यदि समय रहते युवा वर्ग को उचित दिशा नहीं मिली तो राष्ट्र का अहित होने एवम् अव्यवस्था फैलने की सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। युवा व्यवहार मूलतः एक शैक्षणिक, सामाजिक, संरचनात्मक और मूल्यपरक समस्या है जिसके लिए राजनैतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक सभी कारक जिम्मेदार हैं। ऐसे में समाज के अन्य वर्गों को भी जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए, सिर्फ युवाओं को दोष देने से कुछ नहीं होगा, क्योंकि सवाल सिर्फ युवा शक्ति के भटकाव का नहीं है, वरन् अपनी संस्कृति, सभ्यता, मूल्यों, कला एवम् ज्ञान की परम्पराओं को भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने का भी है। युवाओं को भी ध्यान देना होगा कि कहीं उनका उपयोग सिर्फ मोहरों के रूप में न किया जाय।
[ साभार: http://yuva-jagat.blogspot.com/ ]
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परिचय: श्री विनोद रिंगानिया एवं श्री ताराचंद ठोल्या
मारवाड़ी समाज के दो सक्रिय युवा लेखकों श्री विनोद रिंगानिया एवं श्री ताराचंद ठोल्या का आप सभी से परिचय करता हूँ। श्री विनोद रिंगानिया जी जहाँ पत्रकारिता क्षेत्र से संबंध रखते है, वहीं श्री ताराचंद जी "पूर्वत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी युवा मंच " का मुख पत्र 'युवा शक्ति' के संपदक रह कर पत्रिका को नई दिशा देने में सक्षम रहे थे। क्रमशः यहाँ दोनों युवा साथियों के लेख को यहाँ पर प्रकाशित कर रहा हूँ। आप भी यदि किसी ऐसे युवा साथी को जानते हों तो हमें उनका परिचय भेजने की कृपा करगें। -संपादक
मेरा मंच में प्रकाशित श्री ताराचंद ठोल्या जी का लेख: "आह्वान"
किसी भी संगठन की सक्रियता या निष्क्रियता को प्रतिपादित करते हैं उसके सदस्य एवं कार्यकर्ता। संगठन यदि सामाजिक प्रतिनिधि संस्था हो तो सदस्य संख्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। प्रवासी मारवाडी समाज (जो कि वर्षों से नही, दशकों से अवहेलना, कुप्रचार और अपमान का कड़वा घूँट पी- पी कर जीता आया है और अपनी धरोहर, अपनी सांस्कृतिक विरासत, अपना आत्म गौरव आदि सब भूल कर संख्या लघुता यानि minority की हीन भावना लिए व्यवसाय, पेशे और पैसे के खोल में दुबकता चला जा रहा है, तथा इतर समाज में अपनी "मतलबी बनिया" की छबि को पुख्ता करता जा रहा ) के सामाजिक हित और पुनरुथान का परचम थमने वाली संस्था के लिए तो यह और भी जरूरी हो जाता है कि समाज का हर तबका, हर युवा इससे सक्रिय रूप से जुड़े और इसके आन्दोलन में शामिल हो।
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राजनीति के खेल के नियम और मारवाड़ी -विनोद रिंगानिया
पिछले दिनों स्तंभकार मनजीत कृपलानी ने एक बड़ी ही महत्त्वपूर्ण बात की ओर इशारा किया। उन्होंने लिखा है कि भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का असर यह हुआ है कि ब्राह्मण धीरे-धीरे राजनीतिक सत्ता से अलग हटते गए हैं। भारत में हमेशा से हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व बनाए रखने वाले ब्राह्मणों ने अब राजनीतिक सत्ता को छोड़कर उद्यम में अपने पैर जमाने शुरू कर दिए हैं। इसलिए आज हम यह ट्रेंड देख रहे हैं कि ब्राह्मण युवा (और अन्य तथाकथित ऊंची जातियों के) डिग्रियों से लैस होकर, खासकर इंजीनियरिंग की, उद्यमों में आ रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी में भारत को एक महाशक्ति बनाने के पीछे इस युवा वर्ग का बड़ा हाथ है।
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