मंच दर्शन की प्राण प्रतिष्ठा:ज्ञान ज्योति यात्रा का शुभारंभ
श्री प्रमोद्ध सराफ जी का नया लेख जो कि 'समाज विकास' पत्रिका के नये अंक - अक्टूबर '2009 में प्रकाशित हुआ है। "मंच समाचार" के पाठकों के लिये यहाँ पर जारी कर रहा हूँ। - शम्भु चौधरी
अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच अपने रजत जयंती वर्ष का उत्सव मना रहा है। उत्सव भारतीय एवं मारवाड़ी संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। उत्सव माध्यम होते हैं- जीवन में उत्साह संचार के। रजत जयंती समिति ने इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस उत्सव को मानने के क्रम में 100 दिवसीय ज्ञान ज्योति यात्रा का शुभारंभ, मंच के उद्गमस्थल गुवाहाटी शहर से मंच की जननी गुवाहाटी शाखा के स्थापना दिवस 9-10 अक्टूबर को किया है, जो मंच संस्कृति एवं मंच मूल्यों को दर्शाता है। मंच संस्कृति है-कृतज्ञता के भावों की। मंच मूल्य है-स्मृतियों को सजीव बनाना। इस यात्रा की 100 दिवसीय अवधि परिचायक है: मंच शाखाओं के सुदृढ़ आधार की एवं रजत जयंती समिति के नेतृत्व की शाखा नेतृत्व में अगाध विश्वास की। 100 दिवसीय यात्रा के आयोजन की कल्पना राजनैतिक दलों को भी दुष्कर प्रतीत होती है। ऐसी यात्रा की कल्पना, किसी सामाजिक संगठन द्वारा करना, निश्चित रूप से एक साहसिक कार्य है। इस साहसिक कार्य का बीड़ा उठाने हेतु रजत जयंती समिति के नेतृत्व वर्ग का अभिनन्दन। मंच साथी सोच सकते हैं कि इस कार्यक्रम का नामकरण ज्ञान ज्योति यात्रा क्यों किया गया। इस नाम का चयन सावधानी के साथ किया गया है। चंचलता एवं मनमौजीपन में इस कार्यक्रम का नामकरण नहीं किया गया है। यह नाम प्रतीकात्मक है। प्रतीकों का प्रयोग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। इस कार्यक्रम के नाम में मंच नेतृत्व की कल्पनाऐं छिपी है, जिनका अनावरण यात्रा काल में होगा। नाम की प्रासंगिकता इस वातावरण में है, जिसमें यह नाम दिया गया है। यह ऐसा नाम है, जिसके अर्थ को क्षमतानुसार बढ़ाया जा सकता है। जब मंच से जुड़े साथियों का विभाग नाम से हटकर इस नाम में छिपी अन्तर्निहीत भावनाओं की तरफ केन्द्रित होने लगेगा, तब उपरोक्त उल्लेखित ‘क्यों’ स्वतः धूमिल होने लगेगा। ऐसी साहसिक यात्राओं का नाम शक्तिवान एवं चेतनाशील होना अति आवश्यक है। नाम से प्राप्त होने वाले संकेतों एवं यात्रा के अपेक्षित परिणामों में समानता एवं सामंजस्य है। यह नाम भावनात्मक संबल प्रदान करते हुए इस यात्रा के कठिन कार्यों को सहज बनाना है। उद्देश्यों को सजीव करता है।
मंच नेतृत्व में यात्रा के नाम एवं कार्यक्रमों में मंच दर्शन की प्राण प्रतिष्ठा की है। मंच दर्शन के अंतर्गत वर्णित मंच आधार एवं मारवाड़ी समाज की विरासत को ज्ञान ज्योति यात्रा का भी आधार बनाया गया है। मारवाड़ी युवा मंच नेतृत्व एवं शाखाओं ने पिछले 20 वर्षों में कृत्रिम अंग प्रदान शिविरों के आयोजन के माध्यम से शारीरिक रूप से अपंग भाई बहिनों की सेवा का ज्ञान अर्जित किया है। ज्ञान ज्योति यात्रा न्यौता देती है- उपरोक्त वर्णित ज्ञान के रजत जयंती वर्ष में विशेष उपयोग का न केवल अर्जित ज्ञान के उपयोग का बल्कि इस ज्ञान की अतिवृद्धि का भी। ज्ञान ज्योति यात्रा काल में शाखाएं कृत्रिम अंग प्रदान शिविरों का आयोजन कर अपंग भाई बहिनों की जिंदगी की ज्योति जगा सकती है। जिन शाखाओं ने अभी तक यह ज्ञान अर्जित नहीं किया है, वे प्रत्यक्ष अनुभव के माध्यम से इस ज्ञान के अर्जन हेतु ऐसे शिविरों का आयोजन कर सकती हैं। रजत जयंती समिति की योजना है कि ज्ञान ज्योति यात्रा की 100 दिवसीय अवधि में कम से कम 100 कृत्रिम अंगप्रदाय शिविरों का आयोजन कर कम से कम 5000 अपंग भाई बहिनों के जीवन में आशादीप जलाए जाएं। हर शिविर में, शाखाओं के
अनुरोध पर,25 कृत्रिम पैर शाखाओं को निःशुल्क उपलब्ध करवाने की भी रजत जयंती समिति की योजना है।
ज्ञान ज्योति यात्रा काल में मंच शाखाओं को दिखाना है अपना कर्तव्य ज्ञान। निर्णय लेना है शिविरों के आयोजन का ज्ञान ज्योति यात्रा एक साथ ऐतिहासिक अवसर प्रदान कर रही है-ज्ञान के उपयोग एवं ज्ञान की अभिवृद्धि का।
मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेन्द्र गुप्ता ने रजत जयंती वर्ष की थीम निर्धारित की है- ‘‘विकलांगता विहीन हो देश हमारा।’’ एक संदेश छिपा है इसमें। वह संदेश है कि देश के हर नागरिक का कर्तव्य है कि देश में विकलांगता समाप्त करने हेतु न केवल सचेष्ट हो बल्कि इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करे। इस उद्देश्य हेतु अर्थदान एवं श्रमदान करे। पुरानी कहावत है कि बूंद बूंद से घड़ा भरता है। विकलांगता विहीन देश का सपना तभी पूरा हो सकता है, जब हम अपने क्षेत्र के निवासी विकलांग भाई बहिनों को चिन्हित करें व उनकी विकलांगता निवारण हेतु किसी सेवा भावी संस्था को प्रेरित एवं सक्रिय करें। सुप्रसिद्ध राजस्थानी कवि श्री सीताराम महर्षि की निम्न पंक्तियाँ थीम को बल देती प्रतीत होती हैं।
जिंदगी का हर कदम रख इस तरह प्यारे,
रोशनी का दायरा कुछ और बढ़ जाए।
पोलियो रोग से ग्रसित बच्चों की शल्य चिकित्सा हेतु शिविरों के आयोजन की कला का ज्ञान यद्यपि मंच शाखाओं में सीमित रूप में है। ज्ञान ज्योति यात्रा इस ज्ञान के अर्जन का शाखाओं को सुनहरा अवसर प्रदान कर रही है। पोलियो रोग से ग्रसित बच्चों की शल्य चिकित्सा हेतु मंच के शीर्ष नेतृत्व ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. आदिनारायण राव, विशाखापट्टनम के नेतृत्व में देश के 10 राज्यों में ज्ञान ज्योति यात्राकाल में 10 शिविरों के आयोजन का सैद्धांतिक निर्णय लिया है। इन शिविरों के माध्यम से प्रायः 1500 बच्चों की सेवा का लक्ष्य रजत जयंती समिति ने निर्धारित किया है। शाखाओं के शीर्ष नेतृत्व को शीघ्र निर्णय लेना है-इन शिविरों के आयोजन का मंच से जड़ित संपन्न युवा साथियों को इन शिविरों के आयोजन हेतु आवश्यक आर्थिक सहयोग देकर अपना कर्तव्यज्ञान प्रकट करना है। इन शिविरों के आयोजन में कमोबेश 1 करोड़ रुपयों के व्यय का अनुमान है। मंच नेतृत्व एवं कार्यकर्ताओं को इस उद्देश्य हेतु संपन्न समाज बंधुओं से आवश्यक अर्थसंग्रह कर अपने कर्तव्य ज्ञान का निर्वाह करता है। अतः समस्त युवासाथियों को अपनी क्षमतानुसार इस प्रकल्प में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर यौवन धर्म का निर्वाह करना है।
सिलीगुड़ी स्थित राष्ट्रीय विकलांग सेवा केन्द्र में पोलियोग्रसित बच्चों की शल्य चिकित्सा हेतु ज्ञान ज्योति यात्रा काल में स्थायी व्यवस्था स्थापित करने का निर्णय भी रजत जयंती समिति के नेतृत्व की पहल पर लिया गया है। आशा है कि प्रस्तावित व्यवस्था का शुभारंभ दि. 17 जनवरी 2010 को सिलीगुड़ी के मंच साथियों द्वारा कर दिया जाएगा। हम समस्त मंच कार्यकर्ताओं का दायित्व है कि सिलीगुड़ी में प्रस्तावित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में अवदान देकर इसे सफल बनाऐं व सिलीगुड़ी के साथियों का उत्साहवर्द्धन करें।
विश्व में 1 अक्टूबर विश्व रक्तदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। चूंकि ज्ञान ज्योति यात्रा का शुभारंभ अक्टूबर माह में हुआ है एवं मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने रक्तदान कार्यक्रम को मंच के राष्ट्रीय कार्यक्रम की संज्ञा दी है, अतः इस यात्रा काल में शाखाओं द्वारा रक्तदान शिविरों का आयोजन अपेक्षित है। यात्राकाल में कम से कम 2500 ब्लड यूनिट रक्तदान का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अतः मंच शाखाओं का कर्तव्य है कि रक्तदान कार्यक्रम को विशेष महत्व प्रदान करें।
मारवाड़ी युवा मंच का प्रथम राष्ट्रीय कार्यक्रम है। एम्बुलेंस सेवा, मंच द्वारा यह कार्यक्रम इस समय ग्रहण किया था जब ग्रामों एवं नगरों में ही नहीं बल्कि शहरों में भी रोगियों को एम्बुलेंस सेवाएं सहरूपेण उपलब्ध नहीं थी। मारवाड़ी युवा मंच के इस कार्यक्रम ने मारवाड़ी समाज के सामाजिक कर्तव्यबोध को उजागर किया। वर्तमान में 200 से अधिक शाखाओं द्वारा रोगियों को एम्बुलेंस सेवा में उपलब्ध करवाई जा रही हैं। मारवाड़ी युवा मंच के इस कार्यक्रम में अनेकानेक सेवा संगठनों का ध्यानाकर्षण किया एवं परिणामस्वरूप उन्होंने भी एम्बुलेंस सेवा प्रारंभ की। केन्द्रीय सरकार एवं राज्य सरकार भी इस सेवा क्षेत्र में पिछले 2-3 वर्षों में अधिक सक्रिय हुई है। अतः विवेक की मांग है कि मारवाड़ी युवा मंच अपने इस कार्यक्रम को ऊपर की ओर उठाकर मोबाईल ग्रामीण ‘चिकित्सा डिस्पेंशरी’ के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना प्रारंभ करें। इसके शीर्ष नेतृत्व ने ऐसा करने का निर्णय सिलीगुड़ी में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक में ले लिया था। रजत जयंती समिति के नेतृत्व ने ज्ञान ज्योति यात्रा काल में इस निर्णय के क्रियान्वयन की योजना बनाई है एवं निश्चित किया है कि देश के कम से कम 10 राज्यों में मोबाईल ग्रामीण चिकित्सा वाहनों के माध्यम से ग्रामीण चिकित्सा सुविधाएं प्रारंभ की जायें। आवश्यकतानुसार मंच कार्यक्रमों में बदलाव के ज्ञान को उजागर करता है-यह प्रस्तावित कार्यक्रम।
प्रस्तावित ज्ञान ज्योति यात्रा देश के 18 राज्यों से गुजरेगी। प्रतिदिन सैंकड़ों युवा हर कार्यक्रम के अवसर पर एकत्रित होंगे। समाज मनीषी भी इन कार्यक्रमों में उपस्थित होकर मंच साथियों को आशीर्वाद देंगे। मंच का शीर्ष नेतृत्व स्थानीय युवाओं से यात्रा के प्रत्येक स्वागत कार्यक्रम में रूबरू होगा। यह यात्रा मंच के शीर्ष नेतृत्व को अवसर प्रदान करेगी-सामाजिक कुरीतियों एवं रूढ़ियों के विरुद्ध जनमानस के निर्माण हेतु।
स्वसुधार की प्रवृत्ति विकसित करने के आह्वान हेतु। इसमें मंच दर्शन में वर्णित मंच भाव पुष्ट होगा।
ज्ञान ज्योति यात्रा काल में विभिन्न शहरों, नगरों एवं ग्रामों में समारोहों के आयोजन की भी योजना है। इन सम्मेलनों में मंच के वरिष्ठ सदस्यों एवं चुनिंदा समाज बंधुओं का सम्मान किये जाने का कार्यक्रम भी निश्चित किया गया है। यह कार्यक्रम वर्तमान में सक्रिय मंच सदस्यों को वरिष्ठ सदस्यों के व्यक्तित्व एवं अवदानों से परिचित करवाते हुए मंच के गौरवशाली इतिहास को उजागर करेगा। इन समारोहों में अनुकरणीय व्यक्तित्व के धनी चुनिंदा समाजबंधुओं का अभिनन्दन कर, इनके द्वारा प्रतिष्ठित मूल्यों एवं संस्कृति को उजागर करते हुए नमन किया जाएगा। ये प्रेरणादायी व्यक्तित्व युवाओं के दिलो दिमाग पर अमिट प्रभाव छोड़ेंगे एवं हमराही बनने का निमंत्रण देंगे। इस प्रकार ये समारोह ज्ञान्देयजनित चेतना उत्पन्न कर ज्ञानप्रवाह का सही माध्यम बनेंगे-ऐसे मेरी अपेक्षा है। इससे मंच शक्ति में वृद्धि होगी। युवा पीढ़ी को प्रेरक वातावरण मिलेगा। मंच शाखाओं का कर्तव्य है कि इन समारोहों में अपने क्षेत्र के कम से कम 25 क्षमतावान नए युवकों एवं युवतियों को समारोह स्थल तक लाएं व मंच नेतृत्व का दायित्व होगा कि मंच से अनजुड़े इन युवकों के अन्तर्मन में सामाजिक कर्तव्यों के निर्वाह की ज्योति आलोकित करे तभी वर्णित यात्रा सही मायनों में ज्ञान ज्योति यात्रा सिद्ध होगी एवं मंच दर्शन का तृतीय सूत्र मंच शक्ति व्यक्ति विकास पोषित एवं पल्लवित होगा।
यात्रा काल में पुस्तिकाओं एवं स्मारिकाओं के रूप में प्रकाशित मंच साहित्य मंच से संबंधित अनजाने पहलुओं को उजागर कर पाठकों की ज्ञानवृद्धि करेगा। इस साहित्य में मंच से जुड़े साथियों को अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त होंगे। मंच प्रकाशनों की लोप संस्कृति पुनः उदित मुड़ में दिखाई देगी। मंच इतिहास में नए पृष्ठ जुड़ेंगे व पुराने पृष्ठों के धुंधले पड़ते प्रभावों को पुनः चमक प्राप्त होगी। ये प्रकाशन जहां पीड़ा अभिव्यक्ति का माध्यम बन कर चित्त को शांति प्रदान करेंगे, वहीं मंच शक्ति में इजाफा भी करेंगे। प्रकाशनों के अभाव में मंच से दूर होते पुराने युवा साथी पुनः मंच की तरफ उन्मुख होंगे। बैद्धिक क्षेत्रों में मंच विषयों पर चर्चाओं का दौर जीवंतता प्राप्त करेगा। ये प्रकाशन मानसिक विवेक जागृत कर ज्ञानस्रोत कहलाने के अधिकारी होंगे। यात्राकाल में मंच साहित्य प्रकाशन की योजना में इस यात्रा के ज्ञान ज्योति यात्रा नाम को प्रत्यक्षतः सार्थक सिद्ध करने की क्षमता प्रतीत होती है।
‘ज्ञान ज्योति यात्रा’ शब्दों का बारंबार उच्चारण इन शब्दों के गहरे अर्थ जानने हेतु जहां उत्प्रेरित करेगा, वहीं सामाजिक सम्मान की चाह रखने वाले तपस्वी व्यक्तित्वों की संख्या में भी वृद्धि करेगा। मंच साथियों एवं समाज मनीषियों की कुंडलिनी शक्तियों का जागरण कर यह यात्रा सामाजिक सम्मान एवं आत्म सुरक्षा की चाह कालांतर में पूरी करेगी-ऐसी भी मेरी अपेक्षा है। मंच दर्शन के इस चतुर्थ सूत्र के ऊपर प्रभावी कार्य का अवसर प्रदान करती है-यह यात्रा।
जिस सप्ताह में जिस शहर, नगर, ग्राम, में रजत जयंती समारोह आयोजित होने से, उस पूरे समाज सायंकाल मंच कार्यालय के समक्ष एवं क्षेत्र के समस्त निवासियों के घरों के समक्ष दीप प्रज्जवलित किये जाऐं। अधिकतर दीप प्रज्जवलन हेतु स्थानीय नागरिकों को भी प्रोत्साहित किया जाए। यह दीप ज्योति कार्यक्रम जहां भारतीय एवं मारवाड़ी संस्कृति के अनुसार है, वहीं स्थानीय निवासियों में मारवाड़ी समाज एवं मारवाड़ी युवा मंच के बारे में ज्ञानार्जन की चाह पैदा कर राष्ट्रीय एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा। मंच दर्शन का पंचम सूत्र-राष्ट्रीय एकता एवं विकास यद्यपि ज्ञान ज्योति यात्रा के हर कार्यक्रम में परिलक्षित है, परन्तु दीप प्रज्जवलन कार्यक्रम राष्ट्रीय एकीकरण की भावनायें जागृत करने का अच्छा माध्यम बन सकता है, बशर्ते कि स्थानीय समाज बंधुओं को इस कार्यक्रम में सही रूपेण शामिल किया जाए।
इंसान में अच्छाइयाँ उसकी गतिविधियों की देन होती है। मानसिक सुधार के लिये आवश्यक है। इंसान के दिमाग में ज्ञानविद्युत का संचार एवं विचारों की शुद्धता। ज्ञान ज्योति यात्रा आह्नान करती है-ईमानदारी से आत्मचिंतन हेतु। विगत 25 वर्षों में हुई भूलों के स्मरण हेतु। ऐसा आत्मचिंतन हमारे विचारों में शुद्धता पैदा करेगा एवं हमारे मानसिक सुधार का मार्ग प्रशस्त होगा। आत्मचिंतन जनित यह मानसिक सुधार हमारे व्यक्तित्व में निखार लाएगा। ज्ञान की ज्योति जलायेगा। हमारे साधारण नेत्र ज्ञानचक्षु का रूप ले लेंगे। हमारे कान परनिंदा सुनने के लिये इंकार कर देंगे। सहनशक्ति विकसित होगी। क्षोभ एवं विद्रोह की भावनाएं अस्त होंगी। 100 दिवसीय ज्ञानज्योति यात्रा आह्नान करती है, ऐसे आत्मचिंतन का ऐसा आत्मचिंतन इस रजतजयंती वर्ष को ज्ञानज्योति पर्व के रूप में स्मरणीय बना देगा। हमारी अच्छाइयां उभरने लगेंगी। प्रस्तावित ज्ञान ज्योति यात्रा से जुड़े शीर्ष नेतृत्व से आग्रह है कि वे स्वयं भी आत्मचिंतन हेतु मंच से जुड़े हर युवा साथी के लिये प्रेरणा स्रोत बने। मंच का सौभाग्य है कि मारवाड़ी युवा मंच के प्रवर्तक श्री अरुण बजाज रजत जयंती समिति के चेयरमैन हैं। इस रजत जयंती वर्ष में मंच साथियों को उनसे अपेक्षा है कि रजत से स्वर्ण की मंच यात्रा का निस्कंटक मार्ग सुनिश्चित करें।
अग्नि पुराण में कहा गया है कि बच्चे भगवान का दर्शन मिट्टी या लकड़ी आदि से बने हुए भगवाननुमा खिलौनों में करते हैं। औसत बुद्धि के व्यक्ति का भगवान पवित्र जल धाराओं में रहता है। तपस्वी व्यक्तियों का भगवान दिव्यमंडल में स्थित होता है। विवेकी व्यक्तियों का भगवान इनके स्वयं के अंदर ही रहता है। ऐसी स्थिति ज्ञान की भी है। अधिकांश व्यक्ति अनुसरण कर ज्ञान प्राप्त करते हैं। चंद व्यक्ति श्रवण, अध्ययन एवं मनन के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करते हैं। ज्ञान के प्रचार प्रसार हेतु वाणी लोकप्रिय माध्यम है। लेकिन कर्म प्रेरित ज्ञान सर्वोपरि है।
राजस्थान के सुप्रसिद्ध कवि श्री सीताराम महर्षि की निम्न पंक्तियों में अन्तर्निहीत ज्ञान देखें।
पौध प्यार की यहां हर जगह लगाओ तुम,
आग जो घृणा की है प्यार से बुझाओ तुम।
दूर हो गये हैं जो प्यार से मिलाओं तुम,
विष चढ़ा संदेह का प्यार से उतारो तुम।।
[end]