आपका पत्र "आक्रोश" मेरा मंच ब्लॉग पर पढ़ा । आपकी संवेदनशील लेखनी को मेरा प्रणाम।
मंच को आपलोगों ने सींचा है। इसका मैं सम्मान करता हूँ। जो प्रश्न उम्र को लेकर उठे हैं इसमें किसी भी प्रकार की राजनीति मैं भी नहीं चाहता। मैं चाहता हूँ कि संविधान की जिस धारा को हम आज आसानी से तोड़ पा रहें हैं इस सुराख को भविष्य के लिए हमेशा से बन्द कर दिया जाना चाहिये । मुझे व्यक्तिरूप से श्री अक्षय जी या श्री ओमप्रकाश जी की काबलियत पर जरा भी संदेह नहीं है। ये मंच के जिम्मेदार सदस्य हैं। पर जरा सोचिय यदि इस सुराख को बन्द नहीं किया गया तो आगे क्या होगा। किस-किस को हम रोकते फिरेगें। हम आक्रोश की जगह समाधान की तरफ सोचना चाहिये। आपका ही- शम्भु चौधरी
सेवा में श्री अनिल कुमार वर्मा, पटना।
आपके पत्र: श्री शंकर अग्रवाल जी और श्री विनोद लोहिया जी गुवाहाटी का पत्र मिला। उनकी भावना की कद्र करता हूँ। किसी भी सदस्य की भावना को ठेस पहुँचाना हमारा उद्देश्य कतई नहीं रहा फिर भी किसी की भावना को कष्ट हुआ हो तो उन सभी हम से क्षमाप्राथी हैं। - संपादक
इनके लेख का लिंक देखें।
संपादक-शम्भु चौधरी
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January 17, 2009
आपकी संवेदनशील लेखनी को मेरा प्रणाम
प्रिय अनिल जी, नमस्कार
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